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शारीरिक श्रम से मुंह मोड़ने का नतीजा बना बीमारियों का घर : विशेषज्ञ (special on World Health Day)

हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना दिवस के रूप में 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसे मनाए जाने का प्रमुख उद्देश्य दुनिया के हर व्यक्ति को इलाज की अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना, उनका स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। विश्व स्वास्थ्य दिवस का मूल मकसद लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान
शारीरिक श्रम से मुंह मोड़ने का नतीजा बना बीमारियों का घर : विशेषज्ञ (special on World Health Day)

हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना दिवस के रूप में 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसे मनाए जाने का प्रमुख उद्देश्य दुनिया के हर व्यक्ति को इलाज की अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना, उनका स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। विश्व स्वास्थ्य दिवस का मूल मकसद लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए जरूरी परामर्श के साथ जागरूक भी करना है। हर साल अलग-अलग थीम पर मनाये जाने वाले दिवस की इस बार की थीम है- बिल्डिंग अ फेयरर, हेल्दियर वल्र्ड (एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण) । चिकित्सकों का कहना है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। शारीरिक श्रम से मुंह मोड़ने का ही नतीजा है कि शरीर बीमारियों का घर बन रहा है। रोगों से बचने के लिए जरूरी है कि हर रोज कम से कम 45 मिनट तक कड़ी मेहनत व शारीरिक श्रम किया जाए। इससे हृदय रोग और डायबिटीज से शरीर को सुरक्षित बना सकते हैं।

सरकार हर किसी को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल, किशोर-किशोरी स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों और गर्भवती के सही पोषण की व्यवस्था कर रही है । हर क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति की गयी है जो स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी मुश्किल में साथ खड़ी नजर आती हैं । हर रविवार को स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेला का आयोजन हो रहा है ताकि लोग छुट्टी के दिन को सेहत दिवस के रूप में मना सकें।

किंग जार्च चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य कान्त का कहना है ” कोरोना ने रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) की अहमियत को साबित कर दिया है। इसलिए बच्चों की इम्युनिटी पर खास ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वही देश के भविष्य हैं । बच्चों के खाने में हरी साग-सब्जियों और मौसमी फलों को अवश्य शामिल करें ताकि वह शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ बन सकें। फास्ड फूड-बर्गर-पिज्जा से सिर्फ स्वाद मिलता है न कि रोगों से लड़ने की क्षमता । इसलिए उनको वेजिटेवल चाइल्ड बनाएं न कि बर्गर चाइल्ड। इसके साथ ही मास्क से मुंह व नाक को ढककर ही बाहर निकलें, इससे कोरोना से ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे । ”

केजीएमयू के दन्त संकाय के अध्यक्ष डा. पूरन चन्द्र का कहना है ” सबसे उत्तम धन स्वास्थ्य है। स्वस्थ्य शरीर अच्छे कार्यों को करने को प्रेरित करता है। प्रकृतिक आहार व्यवहार,मौसम के हिसाब से आहार विहार रखने से मनुष्य स्वास्थ्य रहेगा। रिजनल और सिजनल पर विषेष ध्यान देने की जरूरत है। जहां जो पैदा होता उसे खाए। इस समय जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से जूझ रही है, ऐसे में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है। यही वजह है कि इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

पूर्व सदस्य, केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद डॉ. अनुरूद्व वर्मा ने कहा कि ” होम्योपैथी पद्धति विश्व स्वास्थ्य दिवस का संकल्प दुनिया के सभी देशों के नागरिकों को स्वस्थ रखने के लिए नीतियाँ निर्धारित कर लागू कराना है, परन्तु अभी तक सभी को स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाया है। बीमारियां लगातार बढ़ती जा रहीं हैं, इसलिए यदि सभी को स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध करानी है और सार्वभौमिक स्वास्थ्य आच्छादन के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो होम्योपैथी जैसी कम खचीर्ली, सरल, दुष्परिणाम रहित, आम आदमी की पहुँच वाली पद्धति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

न्यूज सत्रोत आईएएनएस

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