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America में ब्लैक फ्राइडे पर छायी मायूसी, ग्राहकों से ज्यादा दुकान-कर्मी

सुबह-सुबह लोगों की भीड़ दुकानों में घुस कर पागलपन में खरीददारी करने लगती, यह ²श्य पिछले कई वर्षों में अमेरिका में ‘ब्लैक फ्राइडे’ शॉपिंग डे पर आम होता था। लेकिन इस साल ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमोत्तर वाशिंगटन में स्थित एक वॉलमार्ट सुपर मार्केट में ब्लैक फ्राइडे
America में ब्लैक फ्राइडे पर छायी मायूसी, ग्राहकों से ज्यादा दुकान-कर्मी

सुबह-सुबह लोगों की भीड़ दुकानों में घुस कर पागलपन में खरीददारी करने लगती, यह ²श्य पिछले कई वर्षों में अमेरिका में ‘ब्लैक फ्राइडे’ शॉपिंग डे पर आम होता था। लेकिन इस साल ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमोत्तर वाशिंगटन में स्थित एक वॉलमार्ट सुपर मार्केट में ब्लैक फ्राइडे के दिन ग्राहकों की संख्या बहुत कम थी। मात्र कुछ लोग खरीददारी करते दिखे। वहीं वॉलमार्ट से कुछ किलोमीटर दूर स्थित मेसी डिपार्टमेंट स्टोर में भी ऐसी स्थिति देखने को मिली। यहां तक कि दुकान में कर्मचारियों की संख्या ग्राहकों से अधिक रही।

अमेरिकी खुदरा विश्लेषण एजेंसी रिटेल नेक्स्ट द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष ब्लैक फ्राइडे को ऑफलाइन ग्राहकों की संख्या गत वर्ष की तुलना में 48 प्रतिशत कम हुई, जबकि बिक्री रकम में 30 प्रतिशत की गिरावट आई। उधर, एक अन्य विश्लेषण संस्था सेंसोरमेटिक सॉल्युशन्स के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि अमेरिका में वास्तिवक दुकानों और डिपार्टमेंट स्टोरों में ग्राहकों की संख्या 52 फीसदी कम रही। ऐसी स्थिति में देखा जाए, तो अमेरिका में दुकानों की ब्लैक फ्राइडे पर बड़ा लाभ हासिल करने की आशा पूरी नहीं हो सकी। आखिरकार ऐसा क्यों हुआ?

इसका सबसे प्रत्यक्ष कारण महामारी का बार-बार प्रकोप माना जा रहा है। सेंसोरमेटिक सॉल्युशन्स के विश्लेषक ब्रायन फील्ड के मुताबिक, कोविड-19 महामारी और सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) कायम रखने के नियम से अमेरिकी लोग सिर्फ ब्लैक फ्राइडे पर खरीदारी कर सीधे घर वापस लौटे। यह ग्राहकों की संख्या में बड़ी गिरावट का मुख्य कारण रहा।

इसके अलावा, कुछ ग्राहकों ने ऑनलाइन खरीददारी की। एडोबी एनालिटिक्स के अनुसार, अमेरिका में अग्रणी 100 ई-कॉमर्स वेबसाइटों में 80 के बिक्री डेटा से पता चला है कि ब्लैक फ्राइडे को उनकी ऑनलाइन बिक्री 9 अरब डॉलर तक पहुंची, जो गत वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत ज्यादा है। यह भी उनके दुकानों में शॉपिंग के लिए न जाने का एक कारण रहा।

लेकिन क्रय शक्ति में कमी होना चिंताजनक बात है। ब्लैक फ्राइडे के दो दिन पूर्व, अमेरिकी श्रम मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 21 नवम्बर तक के एक हफ्ते में अमेरिका में बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन वालों की संख्या इसके पूर्व हफ्ते की तुलना में 30 हजार बढ़कर 7 लाख 78 हजार तक पहुंच गई। जाहिर है कि महामारी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।

बीते आधे साल में अमेरिका सरकार की कमजोर महामारी-रोधी शक्ति से कोविड-19 का बार-बार प्रकोप हुआ और अर्थतंत्र को बड़ा नुकसान पहुंचा। इससे अधिकांश आम नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा। इसके साथ ही सरकार के अवैज्ञानिक, गैर-पेशेवर महामारी-रोधी कार्रवाई से पैदा नकारात्मक भूमिका लगातार बढ़ रही है। आर्थिक बहाली में कमजोरी, बड़ी संख्या में उद्योगों का बंद होना, बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी, अमीरों व गरीबों के बीच चौड़ी होती खाई आदि वजहों से लोगों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा है। सबसे अधिक पीड़ित सामान्य अमेरिकी हैं, विशेष रूप से कम आय वाले समुदाय और परिवार।

वर्तमान की स्थिति से देखा जाए, तो अमेरिकी अर्थतंत्र अवश्य ही महामारी के धुंध के बीच एक नए साल में प्रवेश करेगा। जे.पी. मॉर्गन द्वारा हाल ही में जारी ‘2021 अमेरिकी आउटलुक’ ने निराशावादी पूवार्नुमान लगाया, यानी कि अगले साल की पहली तिमाही में अमेरिकी अर्थतंत्र में 1 प्रतिशत की वार्षिक दर से सिकुड़न होगी। इससे महामारी की रोकथाम और नियंत्रण की आवश्यकता और प्राथमिकता जाहिर हुई।

महामारी पर कैसे प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जाय, तमाम अमेरिकी लोगों को बेरोजगारी संकट से कैसे बाहर निकाला जाय, उपभोक्ताओं के विश्वास को कैसे बहाल किया जाय, अमेरिकी सरकार को इस वर्ष के ब्लैक फ्राइडे से इस बारे में सबक लेना चाहिए।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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