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यूजीसी और दिल्ली सरकार के फैसलों पर शिक्षाविदों की अलग-अलग राय

यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर और टर्मिनल परीक्षा लेने हेतु 30 सितंबर की समय सीमा तय की है। वहीं दिल्ली सरकार ने अपने सभी विश्वविद्यालयों में टर्मिनल एवं सेमेस्टर परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। केंद्र और दिल्ली सरकार के फैसलों पर शिक्षाविदों की राय भी बंटी हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के
यूजीसी और दिल्ली सरकार के फैसलों पर शिक्षाविदों की अलग-अलग राय

यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर और टर्मिनल परीक्षा लेने हेतु 30 सितंबर की समय सीमा तय की है। वहीं दिल्ली सरकार ने अपने सभी विश्वविद्यालयों में टर्मिनल एवं सेमेस्टर परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। केंद्र और दिल्ली सरकार के फैसलों पर शिक्षाविदों की राय भी बंटी हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य डॉ. वी.एस. नेगी ने कहा, विद्यार्थियों के साथ चुने हुए प्रतिनिधियों से चर्चा किए बिना ऑनलाइन परीक्षा का प्रयोग करना उचित नहीं है। इस पर फिर से विचार कर विद्यार्थियों के हित में कार्य करना चाहिए। जिस तरह से कुलपति निर्णय लागू कर रहे हैं, वह विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है। बिना कार्यकारी परिषद व विद्वत परिषद में चर्चा किए ऐसा करना अनुचित है।

वहीं प्रसिद्ध शिक्षाविद आर.के. रवि ने कहा, छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि है। छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हुए यदि ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षाएं करवाई जा सकती हैं तो यह एक बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि इससे छात्रों की प्रतिभा का मूल्यांकन किया जा सकता है।

अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पी. पी. सिंह ने कहा, कोरोना आजकल में खत्म होने वाली बीमारी नहीं है। यह लंबे समय तक हमारे समाज में रहेगी। ऐसे में हमें कोई न कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। बिना परीक्षा और बिना पढ़ाई के शैक्षणिक संस्थानों को चलाना कोई विकल्प नहीं है।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में अब बिना परीक्षा के ही अंतिम वर्ष के छात्रों को डिग्रियां प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा दिल्ली सरकार के कॉलेजों में इस बार सेमेस्टर परीक्षाएं भी नहीं ली जाएंगी।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के मुताबिक, डीयू प्रशासन लगातार एक लंबे समय से छात्रों को एग्जाम मोड पर रखकर उनका शोषण कर रहा है तथा अनिश्चितता के बीच अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं की भविष्य की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश सचिव सिद्धार्थ यादव ने कहा, डीयू को असेसमेंट के ऐसे विकल्पों की ओर बढ़ना होगा, जो सुविधाजनक और सहूलियत वाला हो। डीयू मूल्यांकन विकल्प के रूप में ऐसे किसी भी विकल्प को बिना तैयारी लागू नहीं करे, जिससे एक भी छात्र को नुकसान हो। डीयू अपनी मूल्याकंन प्रक्रिया शीघ्र पूरी करे, जिससे छात्रों को भविष्य की अन्य योजनाओं पर फोकस करने का समय मिले।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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