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डायबिटीज के मरीजों को अब होगी कृत्रिम इंसुलिन आपूर्ति

जयपुर। दुनिया में कई बीमारियों ने अपना अड्डा बना लिया है इसमें शुगर की बीमारी यानी के डायबिटीज ने इस समय आधी आबादी रोप जमा चुकी हैं। क्या बच्चे और क्या बूढ़े सभी इन दिनों मधुमेह के मायाजाल में उलझे हुए हैं लेकिन अब उनके लिए खूशखबरी है कि इस समस्या को तकनीक की मदद
डायबिटीज के मरीजों को अब होगी कृत्रिम इंसुलिन आपूर्ति

जयपुर। दुनिया में कई बीमारियों ने अपना अड्डा बना लिया है इसमें शुगर की बीमारी यानी के डायबिटीज ने इस समय आधी आबादी रोप जमा चुकी हैं। क्या बच्चे और क्या बूढ़े सभी इन दिनों मधुमेह के मायाजाल में उलझे हुए हैं लेकिन अब उनके लिए खूशखबरी है कि इस समस्या को तकनीक की मदद से हल करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए दुनिया की सबसे पहली ऑटोमेटिक इंसुलिन डिलीवरी मशीन को अमेरिका में मंजूरी मिल गई है।डायबिटीज के मरीजों को अब होगी कृत्रिम इंसुलिन आपूर्ति

आपको इसके बारे में बता दे कि इस मशीन की मदद से मधुमेह रोगी अपने शरीर में इंसुलिन की आपूर्ति पर नजर रख पाएंगे। आपको बता दे कि ये एक तरह का कृत्रिम पैन्क्रीअस यानी के मशीनी अग्नाशय है, जो कि शरीर में इंसुलिन की कमी को पूरा किया जाता है। इसकी खास बात ये है कि यह मशीन अपने आप मरीज के खून में शुगर की जांच करके यह पता लगा लेगी कि उसे कितनी मात्रा में इंसुलिन की जरूरत है। ये मशीन अपने आप नियमित तौर पर इंसुलिन की डोज देती रहेगी। आपको पहले ही जानकारी दे देडायबिटीज के मरीजों को अब होगी कृत्रिम इंसुलिन आपूर्ति

कि यह नेचुरल अग्नाशय पर आधारित है। खास बात तो ये है कि वह निश्चित दर से हमारे शरीर में इंसुलिन की आपूर्ति करता रहता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह उपकरण का नाम मिनिमेड 670जी है। ये आपको इंसुलिन की उचित मात्रा देती रहेगी। जानकारी दे दे कि अमेरिका के फूड एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने इस उपकरण को कानूनी मंजूरी दे दी है। आपको जानकारी के लिए बता दे कि यह उपकरण टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 14 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए काम में लिया जा सकता है।डायबिटीज के मरीजों को अब होगी कृत्रिम इंसुलिन आपूर्ति

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