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Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभ

पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादाशी का व्रत किया जाता हैं इस साल देवउठनी एकादशी 25 नवंबर दिन बुधवार यानी की कल मनाई जाएगी। इसी दिन तुलसी के संग शालीग्राम भगवान का विवाह भी होता हैं देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा होती
Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभ

पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादाशी का व्रत किया जाता हैं इस साल देवउठनी एकादशी 25 नवंबर ​दिन बुधवार यानी की कल मनाई जाएगी। इसी दिन तुलसी के संग शालीग्राम भगवान का विवाह भी होता हैं देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा होती हैं पूजा के समय देवउठनी एकादशी की व्रत कथा भी सुनी जाती हैं इसके पुण्य से मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं देवउठनी एकादशी की व्रत कथा, तो आइए जानते हैं। Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभएक राजा था उसके राज्य में सभी एकादशी व्रत करते थे। एकादशी के दिन पूरे राज्य में किसी को अन्न नहीं दिया जाता था। एक दिन एक व्यक्ति नौकरी मांगने के उद्देश्य से राजा के दरबार में आया। उसकी बातें सुनने के बाद राजा ने कहा कि नौकरी तो मिल जाएगी। मगर एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाएगा। नौकरी मिलने की खुशी में उस व्यकित ने राजा की बात मान ली।Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभ एकादशी व्रत आया। सभी व्रत थे उसने भी फलाहार किया मगर भूख नहीं मिटी। वह राजा के पास अन्न मांगने गया। उसने राजा से कहा कि फलाहार से उसकी भूख नहीं मिटी, वह भूखों मर जाएगा उसे खाने के लिए अन्न दिया जाए। इस पर राजा ने अपनी शर्त वाली बात दोहराई। उस व्यक्ति ने कहा कि वह भूख से मन जाएगा उसे अन्न जरूरी हैं तब राजा ने उसे भोजन के लिए आटा, दाल, चाल दिया। वह नदी किनारे स्नान किया और भोजन बनाया। उसने भोजन ​निकाला और भगवान को निमंत्रण दिया। तब विष्णु वहां आए और भोजन किए। फिर चले गए। वह भी अपने काम में लग गया।Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभ

दूसरे मास की एकादशी आई। इस बार उसने अधिक अनाज मांगा। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि पिछली बार भगवान भोजन कर लिए, इससे वह भूखा रह गया। इतने अनाज से दोनों का पेट नहीं भरता। राजा चकित थे, उनको उस व्यक्ति की बात पर विश्वास नहीं हुआ। तब वह राजा को अपने साथ लेकर गया। स्नान करके भोजन बनाया और भगवान को निमंत्रण दिया। मगर इस बार भगवान नहीं आए। वह शाम तक भगवान का इंतजार करता रहा। राजा पेड़ के पीछे छिपकर सब देख रहे थे।Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभ अंत में उसने कहा कि हे भगवान अगर आप भोजन करने नहीं आएंगे तो नदी में कदूकर जान दे देगा। भगवन के न आने पर उस नदी की ओर जाने लगा। तब भगवान प्रकट हुए। उन्होंने भोजन किया। फिर उस पर भगवत कृपा हुई और वह प्रभु के साथ उनके धाम चला गया। राजा को ज्ञान हो गया कि भगवान को भक्ति का आंडबर नहीं चाहिए। वे सच्ची भावना से प्रसन्न होते हैं और दर्शन देते हैं इसके बाद से राजा भी सच्चे मन से एकादशी का व्रत करने लगा। अंतिम समय में उनको भी स्वर्ग की प्राप्ति हो गई। Dev uthani ekadashi vrat katha: देवउठनी एकादशी पर जरूर सुनें ये व्रत कथा, मिलेगा विशेष लाभ

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