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क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए

कार्तिक मास की पूर्णिमा को काशी में देव दीपावली मनाई जाती हैं जो इस साल 12 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। देव दीपावली के मनाए जाने के संदर्भ में शिव की एक पौराणिक कथा हैं। जिसमें वे असुर त्रिपुरासुर का वध करके त्रिपुरांतक बनते हैं देव दीपावली के दिन मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं देव दीपावली के दिन काशी में गंगा के सभी घाटों पर दीपक जलाए जाते हैं
क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को बहुत ही विशेष माना जाता हैं यह माह भगवान श्री विष्णु का प्रिय महीना होता हैं। वही कार्तिक मास की पूर्णिमा को काशी में देव दीपावली मनाई जाती हैं जो इस साल 12 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। देव दीपावली के मनाए जाने के संदर्भ में शिव की एक पौराणिक कथा हैं। क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिएजिसमें वे असुर त्रिपुरासुर का वध करके त्रिपुरांतक बनते हैं देव दीपावली के दिन मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं देव दीपावली के दिन काशी में गंगा के सभी घाटों पर दीपक जलाए जाते हैं वही इस दिन पूरी काशी जगमगा रही होती हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि काशी में देव दीपावली क्यों मनाई जाती हैं। क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिएपढ़ें देव ​दीपावली कथा—
शिव जी के ज्येष्ठ पुत्र और देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था। इसके बाद उसके तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने देवताओं से बदला लेने के लिए ब्रह्म देव को अपने कठोर तप से प्रसन्न किया और अमरत्व का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ने कहा कि वे अमरता का वरदान नहीं दे सकते हैं कुछ और मांगों। इन तीनों भाइयों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता हैं।क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए त्रिपुरासुर ने कहा कि हमारे लिए निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में हो और कोई क्रोधजित अत्यंत शांत होकर असंभव रथ पर सवार असंभव बाा से मारना चाहे, तब ही हमारी मृत्यु हो। ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह दिया। ब्रह्मा जी से वरदान पाकर त्रिपुरासुर देवताओं, ऋषि मुनियों, मनुष्यों पर अत्याचार करने लगे। सभी देवता मिलकर भी उनको हरा नहीं पा रहे थे। त्रिपुरासुर ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर आधिपत्य कर लिया। सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे। महादेव ने उनसे कहा कि तुम सब मिलकर उससे युद्ध करों।क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए तब देवताओं ने कहा कि हम ऐसा कर चुके हैं, तब भगवान शिव ने कहा कि उनका आधा बल ले लो और जाकर उनसे लड़ो। लेकिन सभी देवता भगवान शिव के बल को संभाल नहीं पाएं तब उन्होंने स्वयं त्रिपुरासुर के वध का संकल्प लिया। इसके बाद सभी देवताओं ने महादेव को अपना आधा बल दे दिया। फिर भगवान शिव ने धरती को असंभव रथ बनाया, जिसमें सूर्य और चंद्रमा उसके दो पहिए बने। क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिएविष्णु बाण, वासुकी धनुश की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने। ऐसे तैयार हुआ असंभव धनुष और बाण। फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण ​चढ़ा लिया अभिजित नक्षत्र में तीनों पुरियों के एक पंक्ति में आते ही प्रहार किया। प्रहार होते ही तीनों पुरियां जलकर भस्म हो गई और त्रिपुरासुर का अंत हो गया। क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए

कार्तिक मास की पूर्णिमा को काशी में देव दीपावली मनाई जाती हैं जो इस साल 12 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। देव दीपावली के मनाए जाने के संदर्भ में शिव की एक पौराणिक कथा हैं। जिसमें वे असुर त्रिपुरासुर का वध करके त्रिपुरांतक बनते हैं देव दीपावली के दिन मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं देव दीपावली के दिन काशी में गंगा के सभी घाटों पर दीपक जलाए जाते हैं क्यों मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए

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