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गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

देव दीपावली का पर्व दिवाली से पूरे 15 दिनों बात मनाया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर का वध करने के लिए भगवान शिव ने माता शक्ति और मां भैरवी का तप किया था। वही राक्षस का वध करने के लिए शिव जी खुद धरती पर आए थे।
गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व और त्योहार मनाएं जाते हैं मगर देव दीपावली का अपना अलग ही महत्व होता हैं वही देव दीपावली यानि देवी देवताओं द्वारा मनाया जाने वाले दिवाली का पर्व, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का पर्व मनाए जाने की मान्यता वर्षों से चली आ रही हैंगंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली इस बार यह पर्व 12 नवंबर के दिन मनाया जाएगा। इस पर्व की सबसे अधिक रौनक काशी में देखने को मिलती हैं तो आज हम आपको देव दीपावली से जुड़ी कुछ खास और महत्व पूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

देव दीपावली का पर्व दिवाली से पूरे 15 दिनों बात मनाया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर का वध करने के लिए भगवान शिव ने माता शक्ति और मां भैरवी का तप किया था।गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली वही राक्षस का वध करने के लिए शिव जी खुद धरती पर आए थे। उसी के बाद सभी देवी देवताओं ने मिलकर काशी में गंगा नदी के इर्द गिर्द दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को प्रकट किया था। मान्यताओं के मुताबिक आज भी भगवान शिव इस दिन खास धरती पर आते हैं और अपने सभी भक्तों की प्रसन्नता में शामिल होते हैं।गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

जानिए देव दीपावली का शुभ मुहूर्त—
देव दीपावली 12 नवंबर को इस साल मनाई जाएगी। इसकी शुरुआत का शुभ समय शाम पांच बजकर 11 निमट पर शुरु होगा। और यह पूजा 7 बजकर 48 मिनट तक चलेगी। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट से अगले दिन शाम 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

देव दीपावली का पर्व दिवाली से पूरे 15 दिनों बात मनाया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर का वध करने के लिए भगवान शिव ने माता शक्ति और मां भैरवी का तप किया था। वही राक्षस का वध करने के लिए शिव जी खुद धरती पर आए थे। गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

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