Samachar Nama
×

दंगों में मारे गए लोगों के शवों को पोस्टमार्टम का इंतजार

दिल्ली हिंसा में अपनों को खोने के बाद परिजन अब अस्पतालों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। दंगों से सहमे परिवारों का दर्द अब आंखों से समुंदर बनकर बाहर निकल रहा है। हिंसा में मारे गए लोगों का पोस्टपार्टम अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में कई घंटे बीत जाने के बाद शव मोर्चरी में रखे हैं।
दंगों में मारे गए लोगों के शवों को पोस्टमार्टम का इंतजार

दिल्ली हिंसा में अपनों को खोने के बाद परिजन अब अस्पतालों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। दंगों से सहमे परिवारों का दर्द आंखों से समुंदर बनकर बाहर निकल रहा है। हिंसा में मारे गए लोगों का पोस्टपार्टम अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में कई घंटे बीत जाने के बाद शव मोर्चरी में रखे हैं।

दंगों में मारे गए लोगों के शवों को पोस्टमार्टम का इंतजार पोस्टमार्टम के लिए लंबा इंतजार परिजनों के जख्मों पर नमक छिड़कने से कम नही हैं। हिंसा में मारे गए लोगों की मौत का आंकड़ा 42 जा पहूंचा है। खबरों के अनुसार, दंगों में मारे गए लोगों के शवों के पोस्टमार्टम में अभी 5 से 6 दिन का समय लग सकता है। अभी तक अस्पतालों में केवल 18 शवों के ही पोस्टमार्टम हो पाए हैं। कई शव बुरी तरह से जलने के कारण अब केवल डीनए टेस्ट हो सकेगा।

दंगों में मारे गए लोगों के शवों को पोस्टमार्टम का इंतजार

जीटीबी अस्पतला की मॉर्तची में सिर्फ 20 डेड बॉडी एक साथ रखने की जगह है।  हिंसा में मारे गए लोगों की यहां पर एक साथ 20 से भी अधिक शव हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि देरी से हो रहे पोस्टमार्टम की वजह से शव दुर्गंध मारने लगे हैं। बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम में देरी की वजह पुलिस बन रही है। सबसे पहले डेड  बॉडी से संबंधित दस्तावेजों का काम केस से जुड़े आईओ को पूरा करना होता है। उसके बाद ही चिकित्सक शवों का पोस्टमार्टम कर पाते हैं। पुलिस की तरफ से रिपोर्ट नहीं देने को पोस्टमार्टम में देरी की वजह बताया जा रहा है।

दिल्ली हिंसा में अपनों को खोने के बाद परिजन अब अस्पतालों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। दंगों से सहमे परिवारों का दर्द अब आंखों से समुंदर बनकर बाहर निकल रहा है। हिंसा में मारे गए लोगों का पोस्टपार्टम अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में कई घंटे बीत जाने के बाद शव मोर्चरी में रखे हैं। दंगों में मारे गए लोगों के शवों को पोस्टमार्टम का इंतजार

Share this story