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किसान बातचीत के लिए आमंत्रित, सड़क पर नहीं हो सकती चर्चा : कृषि सचिव

केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानून के विरोध में किसानों के प्रदर्शन पर सरकार का कहना है कि बातचीत सड़क पर नहीं हो सकती है और किसानों के मसले पर बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है। कृषि एवं खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि किसानों को बातचीत के लिए पहले ही आमंत्रित
किसान बातचीत के लिए आमंत्रित, सड़क पर नहीं हो सकती चर्चा : कृषि सचिव

केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानून के विरोध में किसानों के प्रदर्शन पर सरकार का कहना है कि बातचीत सड़क पर नहीं हो सकती है और किसानों के मसले पर बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है।

कृषि एवं खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि किसानों को बातचीत के लिए पहले ही आमंत्रित किया गया है और मसले का हल बातचीत के जरिए ही निकल सकता है, तो फिर विरोध-प्रदर्शन का तो कोई आधार नहीं बनता है।

कृषि सचिव ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ दूसरे दौर की बातचीत के लिए पंजाब के किसान नेताओं को तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है। इससे पहले 13 नवंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री और रेलमंत्री के साथ हुई किसान नेताओं की बैठक में बातचीत का दौर आगे जारी रखने पर सहमति बनी थी।

सुधांशु पांडेय ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, “किसानों को बातचीत के लिए पहले ही निमंत्रण हमने भेजा है और पिछली बार जब 13 तारीख को चर्चा हुई थी, तब उन्होंने बातचीत आगे जारी रखने और बातचीत से मसले का हल निकालने पर सहमति जताई थी इसलिए विरोध-प्रदर्शन का कोई आधार नहीं बनता है।”

पंजाब और हरियाणा के किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर लामबंद हैं और नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

कृषि सचिव ने कहा कि, “किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही नये कृषि कानून बनाए गए हैं, फिर भी किसानों को कोई संदेह है तो उसका हल बातचीत के जरिए ही होगा और बातचीत के लिए मेज पर आना होगा, क्योंकि सड़क पर तो बातचीत नहीं हो सकती है।”

विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत को लेकर कृषि मंत्रालय की किसी योजना को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “बातचीत के लिए तो हमने निमंत्रण भेजा ही है। सड़क पर तो बातचीत नहीं हो सकती है, इसके लिए उन्हें टेबल पर आना होगा।”

प्रदर्शनकारी किसान नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी की मांग कर रहे हैं। इस पर पांडेय ने कहा कि जब तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली रहेगी, तब तक सरकार को तो अनाज खरीदनी ही पड़ेगा। इसलिए एमएसपी पर अनाज की खरीद जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि पंजाब में जहां एमएसपी पर खरीद जारी रहने को लेकर शंका है वहां सरकार सबसे ज्यादा अनाज किसानों से एमएसपी पर खरीद रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब में इस साल धान की खरीद अब तक 203 लाख टन हो चुकी है, जबकि खरीद का लक्ष्य 168 लाख टन था। उन्होंने कहा कि धान की इतनी खरीद पंजाब में पहले कभी नहंीं हुई थी। कृषि सचिव ने कहा कि जहां किसानों को एमएसपी समाप्त होने का खतरा है, वहां सरकार एमएसपी पर सबसे ज्यादा खरीद रही है।

उन्होंने कहा कि नए कानून से किसानों को कोई नुकसान नहीं है, बल्कि ये कानून उनकी बेहतरी को ध्यान में रखकर ही बनाए गए हैं।

नयज स्त्रोत आईएएनएस

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