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भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दिन लगता है बीत चुके : डीईए रिपोर्ट

देश में चरणबद्ध तरीके से अनलॉल की प्रक्रिया चल रही है और आर्थिक गतिविधियों को क्रमबद्ध तरीके से अनुमति दी जा रही है। ऐसे में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की मासिक आर्थिक रपट में कहा गया है कि लगता है अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा वक्त बीत चुका है, क्योंकि प्रमुख संकेतकों में सुधार दिख
भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दिन लगता है बीत चुके : डीईए रिपोर्ट

देश में चरणबद्ध तरीके से अनलॉल की प्रक्रिया चल रही है और आर्थिक गतिविधियों को क्रमबद्ध तरीके से अनुमति दी जा रही है। ऐसे में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की मासिक आर्थिक रपट में कहा गया है कि लगता है अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा वक्त बीत चुका है, क्योंकि प्रमुख संकेतकों में सुधार दिख रहा है।

मंगलवार को जारी जुलाई की रपट में कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई), विद्युत उत्पादन, इस्पात और सीमेंट उत्पादन, रेलवे माल ढुलाई, प्रमुख बंदरगाहों पर यातायात, ई-वे बिल जनरेशन के अलावा अन्य संकेतक दिखाते हैं कि आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ ली हैं।

रपट में कहा गया है, “भारत में अनलॉकिंग के साथ लगता है सबसे बुरा वक्त समाप्त हो गया, क्योंकि उच्च तीव्रता वाले संकेतक अप्रैल 2020 में बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाते हैं।”

रपट में हालांकि कहा गया है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों और राज्यों में बीच-बीच में हो रहे लॉकडाउन के कारण जोखिम की स्थिति बनी हुई है। इसमें कहा गया है कि वृद्धि में तेजी आने वाले महीनों में ग्रामीण भारत से मिलेगी।

रपट में कहा गया है कि सामान्य मॉनसून के अनुमान के आधार पर कृषि क्षेत्र वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामारी के असर को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

रपट में आगे कहा गया है कि समय पर और सक्रियता के साथ इस सेक्टर के लिए लॉकडाउन में छूट देने से रबी फसलों की मड़ाई सुगमता से हो पाई और खरीब की बुवाई भी बढ़ी है।

इसमें कहा गया है, “गेहूं की रिकॉर्ड खरीदी से किसानों को लगभग 75,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में निजी उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। सितंबर, 2019 से व्यापार की शर्ते कृषि क्षेत्र के पक्ष में मुड़ी हैं और ग्रामीण मांग बढ़ी है।”

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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