कोरोना महामारी ने इकोनॉमी को गहरा नुकसान पहुंचाया है। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया। इस बीच तमाम औद्योगिक गतिविधियां ठप पड़ी रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट दी और अनलॉक-1 के बीच ज्यादातर पाबंदियों को हटा दिया गया है। ऐसे में इकोनॉमी को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए मोदी सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं।
कोरोनाकाल में कंपनियों और उद्योगों के सामने नकदी को लकेर संकट खड़ा हो गया है। इससे कई दिग्गज कंपनियों ने अपने खर्चों में कटौती करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करने में लगी है। ऐसे में कंपनियों के कर्मचारियों के सामने रोजगार को लेकर संकट खड़ा है।
कोरोना महामारी के कारण बिक्री में गिरावट से रियल्टी कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती करना पड़ रहा है। एक्सपर्ट के अनुसार, रियल एस्टेट सेक्टर में नोटबदी, रियल एस्टेट नियमन अधिनियम और जीएसटी जैसी नई व्यवस्थाओं को लागू करने से उत्पन्न रुकावटों से कारोबार तीन-चार साल से परेशानियों का सामना कर रहा है।
उद्योग जगत से जुड़े जानकारों की मानें तो रियल एस्टेट सेक्टर में 60-70 लाख लोग कार्यरत है। मायहायरिंगक्लब डॉट कॉम और सरकारी नौकरी डॉट इंफो के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट से उपजे हालातों की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में करीब 2 लाख कर्मचारियो को निकाला जा सकता है। इस क्षेत्र में अब तक 60 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
Read More…
एक दिन की राहत के बाद फिर बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, जानिए आज क्या है नए रेट्स
India-China dispute: LAC पर जवाबी कार्रवाई के लिए सैनिक तैयार, चीन से जारी रहेगी बातचीत: रिपोर्ट