Corona in Villages:फैली हुई सरकारी व्यवस्था के बीच गांव में पसर रहा कोरोना
कोरोना की दूसरी लहर अब देश के गाँवों तक पहुंच चुकी है। बुरी बात ये है की उनके इलाज के लिए न तो पर्याप्त सुविधा है और न ही वे खुद भी कोरोना को लेकर सावधानी बरतने को लेकर इच्छुक है। अलग-अलग राज्यों के गांवों में हालात एक जैसे ही हैं। कहीं पर डॉक्टर कम है तोकहिं पर लोग इसका इलाज नहीं करवाना चाहते है। लोग अब भी इस बीमारी को महामारी न मानकर छोटी मोटीखांसी झुकाममानकर इसका घर पर ही काढ़ा वैगरह बनाकर इसका इलाज करने की कोशिश कर रहे है। और अगर इलाज के लिए घर से निकलते भी है तो लाला डॉक्टर के पास जाते है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के विदिशा, हरियाणा के फतेहाबाद और पंजाब के मानसा के कई गांवों में हाल बेहाल है
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की बात करे तो तो यहाँ पर कोरोना की “गजब बेज्जती”की जा रही है। यहां एक चाय की दुकान के पीछे की एक झोपड़ी में दो महिलाओं को ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई जा रही थी। पर कमाल बात ये है की यहाँ स्वघोषित डॉक्टर चंदन मालवीय कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को टायफाइड करोग बता रहे है और इनका इलाज कर रहे है।
इसी गाँव के पास बसे हिरनई गाँव का भी यही हाल है। यहां पर सड़क के एक शटर के अंदर अस्पताल चालू है और मरीजों को ग्लूकोज की बोतल दिया जा रहा है। कुलमिलाकर बात करे तो कोरोना यहाँ पर लाला डॉक्टर के हवाले है और वहां के स्थानीय लोग कहते है की यहाँ पर अस्पताल में बेड नहीं है और अगर इन डॉक्टर के पास नहीं गए तो फिर मर जाएंगे।
हरियाणा के फतेहाबाद की ओर जब हम रुख करते है तो पाते है की यहाँ के गाँव भी लाला डॉक्टर के हवाले खुद को कर चुके है और यहाँ पर काढ़ा पीकर ही लोग कोरोना से ठीक हो रहे है। यहाँ पर सरकारी दवाखानो का रुख तब ही किया जाता है जब बीमारी विकट रूप ले ले और या फिर वैक्सीन लेना हो। बहरहाल यहाँ के एक गाँव ढांड के सरपंच रामसिंह, पटेल सिंह कहते है की सरकारी डॉक्टर आते ही नहीं है वहीँ लाला डॉक्टर तो घर तक आकर दवा दे जाते है। फीस के लिए भी इन्तजार कर लेते है।
जाहिर है मरता क्या न करता,इसीलिए ये लाला डॉक्टर ही इनके भगवान है,और देखा जाये तो इनके पास भी जितने संसाधन है उनके जरिये ही ये लोगो को बचाने की कोशिशे कर रहे है। गांव समैण में खाप नेता सूबेसिंह ने गाँवों में कोरोना पर बात करते हुए कहते है की यहाँ पर सरकारी व्यवस्था का स्तर इतना नीचे तक गिर चुका है की यहाँ पर बेड मिलता ही नहीं है। एक मामलेमे जब बेड के लिए कवायद शुरू की तो प्रशासन को जब तक चेताया नहीं गया तब तक उन्हें बेड नहीं मिला।
जब पंजाब के हाल देखते है तो यहाँ पर ऐसे ही हाल देखने को मिले है। यहाँ के मानसा जिले में कई गाँव ऐसे है जहाँ पर काढ़ा पीकर इलाज किया जा रहा है और कई लोग तो पेड़ के नीचे ये सोचकर बैठ गए है की इससे उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति हो जाएगी। ख़ास बात ये है की यहॉं पर लगभग हर घर में कोई न कोई कोरोना पॉजिटिव है। यहाँ के गाँव खियाला कलां, खियाला खुर्द और मलकपुर खियाला में हाल काफी गंभीर हैं। लेकिन इसके बाद भी अब तक यहाँ पर कोई टीम जांच करने के लिए नहीं पहुंची है।