Corona Effect : क्या कोरोना प्रभाव के बाद ट्रैक्टर निर्माताओं को नए सिरे से बढ़ने की जरूरत ?
कोरोना के चलते हाल के समय में ट्रैक्टरों की बिक्री ने ग्राहकों की खरीद और मांग को प्रभावित किया है, जिसके चलते निर्माताओं को कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों दोनों में समाधान के रूप में उपज की अनिश्चितताओं से निपटने के उपायों को पूरा करने की आवश्यकता है। नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनआरआई) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट ‘ट्रैक्टर्स – मेकिंग द ट्रस्ट वर्कहॉर्स गैलप’ में नए आंकड़ों को सामने रखा है।
कोरोना प्रभाव के अलावा आपूर्ति श्रृंखला और श्रम की कमी में बाधा देखी गई है, जो की ट्रैक्टर निर्माताओं को आगामी सरकार की नीतियों, बदलते कृषि परिदृश्य, और कृषि और गैर-सरकारी क्षेत्रों में अस्थिरता के साथ में अधीन करने वाली है । जिसमें रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ट्रैक्टर निर्माताओं को इन अस्थिरताओं पर सफलतापूर्वक काबू पाने और साथ ही इनमें से कुछ को अवसरों में बदलने के लिए कई सारी कार्रवाई करने की आवश्यकता भी बनी हुई है।
कृषि क्षेत्र में ढुलाई और निर्माण के लिए ट्रैक्टरों को परिवहन के माध्यम के रूप में मुख्य रूप से उपयोग में लिया जाता है। देश में वर्तमान समय में 35% से 40% तक ट्रैक्टरों का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों या गैर-कृषि अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। इस वित्त वर्ष में घरेलू ट्रैफिक में 50% और अंतरराष्ट्रीय ट्रैफिक में 60% तक की गिरावट आने की उम्मीद है, भारतीय निर्माण को 2020 में 7.5% तक लाने की उम्मीद की जा रहीं है, जिसके परिणामस्वरूप निर्माण क्षेत्र में ट्रैक्टर की मांग में गिरावट होंने वाली है।
हालांकि, सरकार की नीतियों में मैक्रो मैनेजमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (MMA), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन ( NHM ) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) और कोरोना के लिए घोषित राहत उपायों के साथ भारत में कृषि क्षेत्र को एक बड़ा अवसर मिलने वाला है। कोरोना के पैकेज ने कृषि आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना को पूरा करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश को पूरा किया है। ट्रैक्टर निर्माताओं को जीपीएस आधारित स्टीयरिंग, एसी केबिन, टेलीमैटिक्स जैसी उन्नत सुविधाओं के साथ बड़े भू-भाग वाले परिवारों के लिए खेती को अधिक उत्पादक बनाने की प्राथमिक व्यवसाय की खेती को अपनाया है।