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महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले सीट बंटवारे को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं इसके पहले जेडीयू के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में विवाद सामने आया था और इस बार आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद सामने आ रहा है। भकपा माले इस बार आरजेडी के नेतृत्व से संतुष्ट
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले सीट बंटवारे को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं इसके पहले जेडीयू के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में विवाद सामने आया था और इस बार आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद सामने आ रहा है। भकपा माले इस बार आरजेडी के नेतृत्व से संतुष्ट नहीं है और अधिक सीटों की मांग कर रही है। राजद ने भाकपा माले को सात से आठ सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया लेकिन भाकपा मालेे का कहना है कि यह बहुत कम है और वह 53 सीटों की मांग कर रहे हैं।
भाकपा माले को 2015 विधानसभा चुनाव में 1.5% वोट मिले थे और उसके पास तीन विधायक थे। पार्टी के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहां की 7 से 8 सीट उनकी पार्टी के लिए बेहद कम है उन्होंने आरजेडी से 53 सीटों की मांग की है। आरजेडी को यह प्रस्ताव भेजा गया है और अगर वे इस पर कोई सकारात्मक फैसला लेते हैं तो गठबंधन के बारे में सोचा जाएगा।
राजद और भाकपा माले के बीच बातचीत न बनने का एक कारण माले द्वारा आरा और फुलवारी जैसी सीटों पर दावा करना है। 2015 में इसपर राजद ने जीत हासिल की थी।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘2015 के चुनावों में राजद-जद(यू) के साथ गठबंधन में थी। 2020 में वह विभिन्न पार्टियों के साथ चुनाव लड़ रही है। 2020 में सीट बंटवारा 2015 के फार्मूले पर नहीं हो सकता।’ भाकपा माले महासचिव ने कहा कि उनकी पार्टी का मध्य बिहार, मिथिलांचल, सीवान-गोपालगंज और सीमांचल में मजबूत कैडर बेस है लेकिन राजद जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर रहा है।

वहीं बिहार के अन्य दो मुख्य वामपंथी दल सीपीआई और सीपीएम अब भी राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ गठजोड़ की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन वार्ता बहुत लंबी खिंच रही है। दोनों दल 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

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