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कंप्यूटर एल्गोरिदम का निजी ज़िंदगी में प्रवेश एक खतरे की घंटी

जयपुर। कंप्यूटर एल्गोरिदम का हमारी निजी ज़िंदगी का बहुत ही बड़ा हिस्सा बनता जा रही है। एल्गोरिदम से समाज को समझने में मदद मिलता हैं इसीके साथ इसको देखने का एक अगल ही नजरीया मिलता है। जैसा की हम जानते है कि एल्गोरिदम की वज़ह से ही हमें फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से नवीनतम
कंप्यूटर एल्गोरिदम का निजी ज़िंदगी में प्रवेश एक खतरे की घंटी

जयपुर। कंप्यूटर एल्गोरिदम का हमारी निजी ज़िंदगी का बहुत ही बड़ा हिस्सा बनता जा रही है। एल्गोरिदम से समाज को समझने में मदद मिलता हैं इसीके साथ इसको देखने का एक अगल ही नजरीया मिलता है।  जैसा की  हम जानते है कि एल्गोरिदम की वज़ह से ही हमें फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से नवीनतम समाचारों और सूचनाएं मिल पाती हैं। हम तुरंत गूगल पर परिणाम प्राप्त करने में सक्षम है सिर्फ इसकी वजह से। इसका एक रूप आपको दिखाते हैं जैसे कि जीपीएस की सहायता से सबसे आसान ड्राइविंग रूट्स लेते हैं,कंप्यूटर एल्गोरिदम का निजी ज़िंदगी में प्रवेश एक खतरे की घंटी

और इसी के सात उन उत्पादों को ऑनलाइन खरीदते हैं, जिनके बारे में हम जानते तक नहीं हैं। इसने वैसे तो हमारी दैनिक जीवन की कई क्रियायें आसान कर दी है लेकिन इसी के साथ एल्गोरिदम ने हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता को भी प्रभावित कर रहा हैं। पर्थ की कर्टिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता माइकल विल्सन ने इस विषय पर शोध किया है। जिससे ज्ञात हुआ है कि एल्गोरिदम का सर्वव्यापी व्यवहार हमारे दिमाग की क्षमता पर कई तरह के असर डालता है।कंप्यूटर एल्गोरिदम का निजी ज़िंदगी में प्रवेश एक खतरे की घंटी

विल्सन ने इसके बारे में बताया कि एल्गोरिदम के नियमित उपयोग से हमारा दिमाग सूचनाओं के अनुवाद और उनके असली मतलब के बीच में अंतर को कमज़ोर कर दिया है। जैसा की हम जानते है कि एक एल्गोरिदम मनुष्य से संबंधित डाटा जैसे समय, शरीर, दोस्ती, सेक्सुअल रूचि, स्थान, नैतिक विचार आदि को तकनीकी रूप से अनुवाद करके सिस्टम पर काम करता है। इसका मतलब है कि यह मानवीय विचारों में एक वैचारिक कृत्रिमता का जन्म होता है। आपको बता दे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मनुष्य की बुद्धि में यही अंतर सबसे बड़ा पाया जाता है।कंप्यूटर एल्गोरिदम का निजी ज़िंदगी में प्रवेश एक खतरे की घंटी

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