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कोलेस्ट्राल नियंत्रण से अल्जाइमर का खतरा कम!

कोलेस्ट्राल की मात्रा शरीर में नियंत्रित रहने से अल्जाइमर रोग होने का खतरा कम रहता है। शोधकर्ताओं ने स्मरणशक्ति में ह्रास और हृदय रोग के बीच आनुवंशिक संबंधों का पता लगाया है। शोध में 15 लाख लोगों के डीएनए की जांच के बाद पता लगाया गया है कि हृदय रोग होने यानी ट्राइग्लिसराइड एवं कोलेस्ट्राल
कोलेस्ट्राल नियंत्रण से अल्जाइमर का खतरा कम!

कोलेस्ट्राल की मात्रा शरीर में नियंत्रित रहने से अल्जाइमर रोग होने का खतरा कम रहता है। शोधकर्ताओं ने स्मरणशक्ति में ह्रास और हृदय रोग के बीच आनुवंशिक संबंधों का पता लगाया है। शोध में 15 लाख लोगों के डीएनए की जांच के बाद पता लगाया गया है कि हृदय रोग होने यानी ट्राइग्लिसराइड एवं कोलेस्ट्राल स्तर (एचडीएल, एलडीएल और कुल कोलेस्ट्राल) बढ़ने से अल्जाइमर का खतरा रहता है।

हालांकि ऐसे जीन जो बॉडी मास इंडेक्स और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाते हैं, उनका संबंध अल्जाइमर का खतरा बढ़ाने में नहीं पाया गया।

वाशिंगटन यूनिवसिर्टी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर सेलेस्टे एम. कार्च ने कहा, “जो जीन लिपिड मेटाबालिज्म को प्रभावित करता है, उसका संबंध अल्जाइमर रोग बढ़ाने के कारक के रूप में पाया गया है।”

स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर राहुल एस. देसिकन ने कहा कि इस तरह सही जीन और प्रोटीन को अगर लक्षित किया जाए और कोलेस्ट्राल एवं ट्राइग्लिसराइड को नियंत्रित रखा जाए तो कुछ लोगों में अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है।

शोध में यह पाया गया कि डीएनए का जो अंश हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है, वह अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

यह शोध एक्टा न्यूरोपैथोलोजिका में प्रकाशित हुआ है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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