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Chhath 2020: द्रौपदी ने की थी इस गांव में छठ मइया की पूजा और भीम का था ससुराल

आज से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुका हैं। इस बार छठ 18 नवंबर से 21 नवंबर तक मनाया जाएगा। जिसकी शुरुआत आज नहाए खाए से हो रही हैं। वही बता दें कि रांची में छठ पूजा का खास महत्व होता हैं यहां के नगड़ी गांव में छठ का व्रत रखने वाली
Chhath 2020: द्रौपदी ने की थी इस गांव में छठ मइया की पूजा और भीम का था ससुराल

आज से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुका हैं। इस बार छठ 18 नवंबर से 21 नवंबर तक मनाया जाएगा। जिसकी शुरुआत आज नहाए खाए से हो रही हैं। वही बता दें कि रांची में छठ पूजा का खास महत्व होता हैं यहां के नगड़ी गांव में छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं नदी या तालाब की बजाय एक कुएं में छठ की पूजा करती हैं तो आज हम आपको इसके पीछे की मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Chhath 2020: द्रौपदी ने की थी इस गांव में छठ मइया की पूजा और भीम का था ससुराल

मान्यताओं के मुताबिक इसी कुंए के पास द्रौपदी सूर्योपासना करने के साथ सूर्य को जल भी दिया करती थी। ऐसा माना जाता हैं कि वनवास के दौरान पांडव झारखंड के इस इलाके में बहुत दिनों तक रुके थे। एक बार जब पांडवों को प्यास लगी और दूर दूर तक पानी नहीं मिला तब द्रौपदी के कहने पर अर्जुन ने जमीन में तीर मारकर पानी निकाला था। Chhath 2020: द्रौपदी ने की थी इस गांव में छठ मइया की पूजा और भीम का था ससुरालइसी जल के पास से द्रौपदी सूर्य को अर्घ्य दिया करती थी। सूर्य की पूजा कि वजह से पांडवों पर हमेशा भगवान सूर्य देव का आशीर्वाद बना रहा। यही कारण है कि यहां आज भी छठ का महापर्व मनाया जाता हैं। एक और मान्यता के मुताबिक इसी गांव में भीम का ससुराल भी था और भीम और हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच का जन्म भी यहीं हुआ था। Chhath 2020: द्रौपदी ने की थी इस गांव में छठ मइया की पूजा और भीम का था ससुराल एक दूसरी मान्यता के मुताबिक महाभारत में वर्णित एकचक्रा नगरी नाम ही अपभ्रंश होकर अब नगड़ी हो गया हैं स्वर्ण रेखा नदी दक्षिणी छोटाना गपुर के इसी पठारी भू भाग से निकलती हैं। इसी गांव के एक छोर से दक्षिणी कोयल तो दूसरे छोर से स्वर्ण रेखा नदी का उदगम होता हैं।Chhath 2020: द्रौपदी ने की थी इस गांव में छठ मइया की पूजा और भीम का था ससुराल

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