Chanakya Niti: धरती पर ये चीजें हैं सबसे कीमती, इनके सामने हीरे मोती भी फेल
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति से एक सामान्य बालक को राजा बना दिया। चाणक्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध हैं। नीति ग्रंथ में 14वें अध्याय के पहले श्लोक में में धरती पर मौजूद तीन बहुतमूल्य रत्नों की बात की हैं वे कहते हैं कि हीरा, मोती, प्रन्न और स्वर्ण तो सिर्फ एक पत्थर हैं जिसके बिना रहा जा सकता हैं मगर उन तीन बहुमूल्य रत्नों के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना असंभव हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आचार्य चाणक्य ने किन तीन चीजों को बहुमूल्य रत्न बताया हैं तो आइए जानते हैं।
पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् ।
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ॥
श्लोक के द्वारा चाणक्य ने बताया है कि हीरा, मोती, पन्ना, स्वर्ण एक पत्थर के टुकड़े मात्र हैं वे कहते है कि पृथ्वी के सभी रत्नों में जल, अन्न और मधुर वचन सबसे बहुमूल्य रत्न होते हैं। चाणक्य ने जल, अन्न और मधुर वचन के महत्व को बताते हुए इस श्लोक में कहा है कि जल और अन्न से मनुष्य अपने जीवन की रक्षा कर पाता है, इससे उसके प्राणों की रक्षा होती हैं शरीर का पोषण होता हैं और बल बुद्धि में वृद्धि होती हैं इसके अलावा वे कहते है कि मधुर वचनों से व्यक्ति चाहे तो शत्रुओं को भी जीतकर अपना बना सकता हैं इसलिए यह रत्न अत्यंत ही मूल्यवान होता हैं चाणक्य कहते हैं कि जो लोग इन रत्नों को छोड़कर पत्थरों के पीछे भागते हैं उनका पूरा जीवन कष्टों से भर जाता हैं।