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दुनिया में हैं केवल ये बेशकीमती चीजें

आचार्य चाणक्य ने कहा हैं, कि इस दुनिया में भोजन और पानी का दान ही महादान माना जाता हैं इसके अलावा कोई और चीज इस दुनिया में इतनी बेशकीमती नहीं हैं वही जो मनुष्य भूखे प्यासे को भोजन और पानी पिलाता हैं वह ही पुण्य आत्मा हैं। हिंदू पंचांण की बारहवी तिथि जिसे द्वादशी तिथि कहा जाता हैं उसे सबसे पवित्र तिथि बताया हैं द्वादशी तिथि पर पूजा आराधना और उपवास रखना से भगवान श्री विष्णु की विशेष्ज्ञ कृपा हासिल होती हैं। चाणक्य ने कहा हैं, कि इस दुनिया में गायत्री मंत्र से बड़ा कोई और दूसरा मंत्र नहीं हैं
दुनिया में हैं केवल ये बेशकीमती चीजें

आपको बता दें, कि आचार्य चाणक्य द्वारा बताई जाने वाली नीतियां आज भी मनुष्य के जीवन में कारगर और सत्य के करीब मानी जाती हैं वही चाणक्य ने जो नीतियां बताई हैं अगर उसे व्यक्ति अपने जीवन में सही ढ़ग से पालन करें तो कल्याण हो जाता हैं। वही आज के युग में हर इंसान की चाहत ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और सुख सुविधा पाने की होती हैं। मगर आचार्य चाणक्य ने कहा हैं, कि इंसान को सिर्फ इन चीजों का ही मोह रखना चाहिए। इन चीजों के अलावा इस संसार में हर एक बहुमूल्य चीज भी उसके सामने बेकार हैं तो आइए जानते हैं कि वो बेशकीमती चीजें क्या हैं, तो आइए जानते हैं। दुनिया में हैं केवल ये बेशकीमती चीजेंआपको बता दें, कि आचार्य चाणक्य ने कहा हैं, कि इस दुनिया में भोजन और पानी का दान ही महादान माना जाता हैं इसके अलावा कोई और चीज इस दुनिया में इतनी बेशकीमती नहीं हैं वही जो मनुष्य भूखे प्यासे को भोजन और पानी पिलाता हैं वह ही पुण्य आत्मा हैं।दुनिया में हैं केवल ये बेशकीमती चीजें

वही चाणक्य ने हिंदू पंचांण की बारहवी तिथि जिसे द्वादशी तिथि कहा जाता हैं उसे सबसे पवित्र तिथि बताया हैं द्वादशी तिथि पर पूजा आराधना और उपवास रखना से भगवान श्री विष्णु की विशेष्ज्ञ कृपा हासिल होती हैं। चाणक्य ने कहा हैं, कि इस दुनिया में गायत्री मंत्र से बड़ा कोई और दूसरा मंत्र नहीं हैं माता गायत्री को वेदमाता भी कहा जाता हैं सभी चारों वेदों की उत्पति गायत्री से हुई हैं।दुनिया में हैं केवल ये बेशकीमती चीजें

चाणक्य के मुताबिक इस धरती पर मां ही सबसे बड़ी हैं मां से न बड़ा कोई देवता, न कोई तीर्थ और न ही कोई गुरु हैं जो व्यक्ति अपने माता पिता की सेवा करता हैं उसे और किसी की भक्ति करने की कोई आवश्यकता नहीं होती हैं।

आचार्य चाणक्य ने कहा हैं, कि इस दुनिया में भोजन और पानी का दान ही महादान माना जाता हैं इसके अलावा कोई और चीज इस दुनिया में इतनी बेशकीमती नहीं हैं वही जो मनुष्य भूखे प्यासे को भोजन और पानी पिलाता हैं वह ही पुण्य आत्मा हैं। हिंदू पंचांण की बारहवी तिथि जिसे द्वादशी तिथि कहा जाता हैं उसे सबसे पवित्र तिथि बताया हैं द्वादशी तिथि पर पूजा आराधना और उपवास रखना से भगवान श्री विष्णु की विशेष्ज्ञ कृपा हासिल होती हैं। चाणक्य ने कहा हैं, कि इस दुनिया में गायत्री मंत्र से बड़ा कोई और दूसरा मंत्र नहीं हैं दुनिया में हैं केवल ये बेशकीमती चीजें

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