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जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के संकट को कम करने में मददगार है अंडे की सफेदी

उर्जा के बढ़ते संकट और जलवायु परिवर्तन ने इंसान को सोचने पर मज़बूर कर दिया है। वायुमंडल में कार्बन का उत्सर्जन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता निरंतर ऐसी तकनीक का विकास करने की कोशिश में लगे रहते हैं, जिससे कार्बन मुक्त ऊर्जा का उत्पादन हो सके। साथ
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के संकट को कम करने में मददगार है अंडे की सफेदी

उर्जा के बढ़ते संकट और जलवायु परिवर्तन ने इंसान को सोचने पर मज़बूर कर दिया है। वायुमंडल में कार्बन का उत्सर्जन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता निरंतर ऐसी तकनीक का विकास करने की कोशिश में लगे रहते हैं, जिससे कार्बन मुक्त ऊर्जा का उत्पादन हो सके। साथ ही वह परंपरागत तरीके से थोड़ी भिन्न हो। जापानी वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक नई सफलता हासिल की है। दरअसल जापान के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उनकी टीम ने कार्बन मुक्त ऊर्जा बनाने की एक नई तकनीक खोज ली है।

जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के संकट को कम करने में मददगार है अंडे की सफेदी

वैज्ञानिक की माने तो अंडे के सफेदी से यह अनोखा कारनामा किया जा सकेगा। जी हां, अंडे के भीतर निकलने वाले सफेद तरल पदार्थ से अब कार्बन फ्री एनर्जी का निर्माण किया जा सकेगा। ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी में प्रफेसर यूसुके यमादा ने यह अनोखा दावा किया है। यमादा ने बताया है कि अंडे में उपस्थित सफेदी का अब तक एक अच्छे प्रोटीन स्त्रोत के रूप में इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इससे ऊर्जा भी बनाई जा सकती है। साथी ही यह कार्बन से भी रहित होती है। अंडे की सफेदी का प्रयोग हाइड्रोडन निर्माण के लिए किया जा सकता है। यमादा कहते है कि स्वच्छ बिजली उत्पादन के लिए अंडे की सफेदी एक बेहतर विकल्प साबित होगी।

जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के संकट को कम करने में मददगार है अंडे की सफेदी

यमादा ने यह भी दावा किया कि इस नए तरीके से हम पानी से हाइड्रोजन निर्माण के अपने अंतिम लक्ष्य को पाने में जल्द ही कामयाब हो पाएंगे। आपकी जानकारी के लिये बता दे कि हाइड्रोजन गैस का अधिकतम निर्माण वर्तमान समय में जीवाश्म से बने खनिज जैसे कोयला आदि से किया जा रहा है। हालांकि हाइड्रोजन निर्माण की यह प्रक्रिया पूरी तरह से शुद्ध नहीं है। इस कारण कई हानिकारक तत्व भी वातावरण में फैलने लगते हैं।

जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के संकट को कम करने में मददगार है अंडे की सफेदी

यमादा की माने तो हाइड्रोजन गैस को प्रयोगशाला में भी बनाया जा सकता है। इसके लिए पारंपरिक तौर पर पानी में मौजूद अणुओं के मिश्रण का प्रयोग किया जा सकता है। यमादा की टीम ने इसके लिए अंडे में मौजूद प्रोटीन का प्रयोग किया था। यमादा का यह अनुसंधान साइंटिफिक जनरल अप्लायड कैटलिसिस बी में भी प्रकाशित हो चुका है। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो आने वाले समय में अंडे का प्रयोग नाश्ते के साथ ऊर्जा के उत्पादन में भी किया जा सकेगा।

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