कार्बन आधारित जीवन नहीं बल्कि इस पदार्थ से जगती है जीवन की आशा
जयपुर। वैज्ञानिक मानते है कि सिलिकान आधारित जीवन के सबसे हटकर एक विकल्प के रूप हो सकता है। सिलिकोन कार्बन की जगह ले सकता है। विशेषज्ञों को मानना है कि सिलिकोन आधारित जीवन के मूल अणु मे आक्सीजन की एक के बाद एक परमाणुओं की एक श्रृंखला बनायेंग जो बंधन की मजबूती और स्थिरता का लाभ उठायेंगे। सिलिकान के परमाणु के शेष दो बंधन कार्बनीक समूह से जुड़े होंगे। वरसायनशास्त्रोयों द्वारा माना जाता है कि सिलिकान-आक्सीजन अणुओं की श्रृंखला से जुड़े कार्बनीक समूह पालीमर के गुणधर्मो को निर्धारित करेंगे
और इसी का लाभ उठाते हुये जिसमे सिलिकेट जैसी मजबूती तथा हायड्रोकार्बन जैसा लचीलापन हो सकता है। वैसे आपतको बता दे कि सिलिकोन प्रकृति मे पाये नही जाते है, इनका अध्ययन फ़्रेडेरिक किप्पींग ने 1901 मे किया था। इनकी खोज के बाद ज्ञात किया कि सिलिकोन पदार्थो के अध्ययन में गुणधर्म बहुत उपयोगी है जैसे कम विषाक्ता, उच्च ताप पर स्थाईत्व, परबैंगनी किरणो का प्रतिरोध, वातावरण की आक्सीजन से प्रतिरोध तथा पानी से सुरक्षितता। इनके प्रयोगो में खाना बनाने के उपकरण है। आपको बता दे कि अधिकतर सिलिकोन का प्र्योग उच्च तापमान वाले उपकरणों मे होता है। वैज्ञानिक इसका यही कारण देखते है
कि सिलिकोन आधारित जीवन के पीछे जटिल तथा लंबे पालीमर के निर्माण की क्षमता है। इसकी इस क्षमता के द्वारा ऐसे स्थाई और जटिल अणुओं के निर्माण की करना संभावना है। जीव वैज्ञानिक कहते है कि इस तरह के पदार्थों में जिनेटीक सूचना संग्रहीत की जा सके या वह डीएनए, आर एन ए जैसे अणुओं के समकक्ष अणु का निर्माण कर सकें और अधिक उच्च तापमान पर स्थाई रहे तो सिलिकोन आधारित जीवन ऐसी उष्ण परिस्तिथियों मे भी पनप सकते है। तो इसी अवधारण के अनुसार कार्बन आधारित जीवन संभव नही है बल्कि सिलिकोन आधारित जीवन से कुछ उम्मीदे जगती है।