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क्या हमारी आँख डिजिटल कैमरे के बराबर देख सकती है

जयपुर। आपसे पूछा जाये कि किसी कैमरा और मानव नेत्र दृष्टि की तुलना मेगापिक्सेल क्या है तो आप इसके जवाब में सटीक रूप से नही कह पाओगे। वो इसलिए क्योंकि हमारे नेत्र की दृष्टि किसी कैमेरे की तरह डिजिटल नही है और हम विज़न का एक मामूली हिस्सा ही साफ-साफ देख पाते है। शोधकर्ता बताते
क्या हमारी आँख डिजिटल कैमरे के बराबर देख सकती है

जयपुर। आपसे पूछा जाये कि किसी कैमरा और मानव नेत्र दृष्टि की तुलना मेगापिक्सेल क्या है तो आप इसके जवाब में सटीक रूप से नही कह पाओगे। वो इसलिए क्योंकि हमारे नेत्र की दृष्टि किसी कैमेरे की तरह डिजिटल नही है और हम विज़न का एक मामूली हिस्सा ही साफ-साफ देख पाते है। शोधकर्ता बताते है कि हमारी दृष्टि तीक्ष्णता लगभग 74MP के समान है और रेसोलुशन क्षमता 576MP की है।क्या हमारी आँख डिजिटल कैमरे के बराबर देख सकती है

जानकारी के लिए बता दे कि दृष्टि तीक्ष्णता 74MP औसत मानव रेटिना पचास लाख शंकु रिसेप्टर्स से बना होता है। यह शंकु रिसेप्टर्स रंग दृष्टि के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसीलि कहा जा सकता हैं की ये आँख पांच मेगापिक्सेल के बराबर है। लेकिन यह आंकड़ा गलत है। क्योंकि हमारी आंख में सौ मिलियन मोनोक्रोम होते हैं, जो आंख द्वारा देखी जा रही छवि के तीखेपन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दोनों के आधार मान कर हम 105 मेगापिक्सेल कह सकते है लेकिन यह पूर्णत गलत है।क्या हमारी आँख डिजिटल कैमरे के बराबर देख सकती है

इस तरह के कुछ शोध से ज्ञात होता है कि आँख 76 मेगापिक्सल हैं लेकिन ये भी पूर्ण सत्य नही लगता क्योंकि मनुष्य की आँख कोई डिजिटल कैमरा नहीं है। अगहर इसे सही सरल भाषा में समझा जाये तो मानव की दोनों आँखें मिलकर जो चारों ओर के दृश्य की समग्र छवि मस्तिष्क में पहुंचती है और वो कुल मिलाकर एक बहुत बड़े क्षेत्र की छवि बनाता है। जो लगभग 576 मेगापिक्सल के बराबर होता हैं। इसी तरह से हम कैमरे से अच्छा देख पाते है। और कैमरा कभी आखों के बराबर नहीं देख सकता है।  क्या हमारी आँख डिजिटल कैमरे के बराबर देख सकती है

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