Samachar Nama
×

Himachal Pradesh में हुई आलू की बंपर फसल, दाम भी पिछले साल से ज्यादा

जब कोरोना के कारण देश-दुनिया के उद्योग-धंधों पर अभूतपूर्व असर आया है, तब हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के आलू हॉटकेक्स की तरह बिक रहे हैं। यहां आलुओं की बंपर फसल हुई है, जो कि पिछले साल की फसल से लगभग दोगुनी है। साथ ही किसानों को अपनी मेहनत का अच्छा मूल्य भी मिल रहा
Himachal Pradesh में हुई आलू की बंपर फसल, दाम भी पिछले साल से ज्यादा

जब कोरोना के कारण देश-दुनिया के उद्योग-धंधों पर अभूतपूर्व असर आया है, तब हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के आलू हॉटकेक्स की तरह बिक रहे हैं।

यहां आलुओं की बंपर फसल हुई है, जो कि पिछले साल की फसल से लगभग दोगुनी है। साथ ही किसानों को अपनी मेहनत का अच्छा मूल्य भी मिल रहा है।

हिमालय में भारत-चीन सीमा के करीब स्थित लाहौल घाटी में एक साल में एक ही फसल पैदा होती है और वो भी हिमालय पर जमी बर्फ के पिघलने से बनी जलधाराओं पर निर्भर है। अभी यहां आलू की कटाई हो चुकी है और अब फसल बिकने के लिए बाजार में जाने तैंयार है।

हर साल घाटी से आल की फसल का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों के बाजारों में जाता है, जहां उनका मुख्य रूप से फसलों के बीज के रूप में उपयोग होता है।

किसान नीरज नेगी ने आईएएनएस को बताया, “इस समय करीब आधी जमीन पर मैककेन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए ठेके पर आलू की खेती हो रही है इसलिए फसल का एक बड़ा हिस्सा कंपनी को बेच दिया गया है।”

उन्होंने बताया कि 2019 की तुलना में इस बार कीमतें और उपज अधिक रही है।

उन्होंने आगे कहा, “चूंकि निजी कंपनियां चिप्स बनाने वाली किस्मों जैसे ‘संताना’ को बढ़ावा दे रही हैं, इसलिए हम कुछ हिस्सों में वही उगा रहे हैं, वहीं बाकी जमीन में पारंपरिक किस्मों की खेती हो रही है।”

एक अन्य किसान दीपक बोध ने कहा कि मैककेन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के अलावा हाइफुन फ्रोजन फूड्स और बालाजी फूड्स भी ठेके पर खेती को बढ़ावा दे रही हैं। चिप्स वाली किस्म ‘संताना’ का 50 किग्रा का एक बैग 1,200 से 1,300 रुपये की कीमत पर बिक रहा है, जबकि 2019 में इसकी कीमत 1,000 रुपये थी।

राज्य के कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, लाहौल घाटी में 750 हेक्टेयर में ‘कुफरी चंद्रमुखी’ और ‘कुफरी ज्योति’ किस्मों के लगभग 35,000-40,000 बैग (50 किलो वाली) की कटाई की जाती है।

लाहौल बीज आलू उत्पादक सहकारी विपणन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रेम लाल ने आईएएनएस को बताया कि वे सीधे उत्पादकों से आलू खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा, “खरीद के बाद हम पूरी फसल को कुल्लू शहर में ले जाएंगे। अक्टूबर के अंत तक हम सरकार के साथ इसकी कीमतें तय करने के बाद इसे बेचना शुरू करेंगे।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनाली और लाहौल घाटी के बीच ऑल वेदर रोड लिंक का उद्घाटन करने के बाद इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अब फूलगोभी, आलू और मटर की फसल जल्दी बाजारों में पहुंच सकेगी।

मोदी ने कहा, “लाहौल की पहचान चंद्रमुखी आलू को मैंने भी चखा है। इसे नए बाजार और नए खरीदार मिलेंगे।”

आलुओं के अलावा लाहौल-स्पीति औषधीय पौधों, सैकड़ों जड़ी-बूटियों और हींग, अकुथ, काला जीरा, केसर जैसे कई मसालों का भी एक बड़ा उत्पादक है। हिमाचल के ये प्रोडक्ट देश और दुनिया में अपनी पहचान बना चुके हैं।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि साल में केवल 5 महीने से कम समय की खेती करने वाली यह घाटी सब्जी की कटोरी में बदल रही है, क्योंकि यहां रिटर्न दोगुने से भी ज्यादा है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

Share this story