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BSP अन्य जातियों के बीच पैठ बनाने की जुगत में

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान चलाने पर फोकस कर रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बमुश्किल डेढ़ साल रह गए हैं, ऐसे में पार्टी ने अपने सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले को रिवाइव किया है और ब्राह्मणों को बड़े पैमाने पर लुभा रही है। पार्टी के नेताओं को
BSP अन्य जातियों के बीच पैठ बनाने की जुगत में

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान चलाने पर फोकस कर रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बमुश्किल डेढ़ साल रह गए हैं, ऐसे में पार्टी ने अपने सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले को रिवाइव किया है और ब्राह्मणों को बड़े पैमाने पर लुभा रही है।

पार्टी के नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि प्रत्येक जिले में प्रत्येक समुदाय के कम से कम 1,000 व्यक्तियों को सदस्य के रूप में नामांकित किया जाए।

पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, “पार्टी अपने आधार को बड़ा बनाना चाहती है और सभी प्रमुख समुदायों को शामिल करना चाहती है। हम विधानसभा चुनावों के लिए एक आक्रामक अभियान शुरू करेंगे और मुद्दे जाति-विशेष के बजाय आम आदमी से संबंधित होंगे।”

मायावती के शासन के दौरान जो कानून-व्यवस्था की स्थिति थी, पार्टी के लिए यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा कानून और व्यवस्था की स्थिति होगी और पार्टी के नेता मौजूदा हालातों की उससे तुलना करेंगे।

पार्टी अभियान उस तरीके पर भी फोकस करेगी जिसमें सरकार ब्राह्मणों, दलितों, ओबीसी और यहां तक कि अल्पसंख्यकों को निशान बना रही है।

बसपा पिछले कुछ हफ्तों से पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा संबोधित किए जाने वाले ‘ब्राह्मण संवाद’ आयोजित कर रही है। यह कदम ब्राह्मणों को लुभाने के लिए बनाया गया है, जो कथित तौर पर भाजपा से असंतुष्ट हैं।

दिलचस्प बात यह है कि बसपा अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘ठाकुर अजय सिंह बिष्ट, उत्तराखंड वाले’ के रूप में संबोधित कर रही है। यह विचार इस तथ्य को रेखांकित करने के लिए है कि वह राज्य से संबंधित नहीं है और एक ‘बाहरी व्यक्ति’ हैं। इसके अलावा, बसपा भी ठाकुर-ब्राह्मण दरार को चौड़ा चाहती है और अपने लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहती है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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