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जानिए क्यों ब्रेड पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं?

ब्रेड आपके दिन की अच्छी शुरूआत के लिए एक अच्छे नाश्ते के रूप में काम आती है। कहीं ना कहीं आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन पर्यावरण के लिए ये एक खतरा बन सकती है। आइए आपको समझाते हैं कैसे? जर्नल नेचर प्लान्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन ने
जानिए क्यों ब्रेड पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं?

ब्रेड आपके दिन की अच्छी शुरूआत के लिए एक अच्छे नाश्ते के रूप में काम आती है। कहीं ना कहीं आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन पर्यावरण के लिए ये एक खतरा बन सकती है। आइए आपको समझाते हैं कैसे?

जर्नल नेचर प्लान्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन ने ब्रेड के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच की और पाया कि यह ग्लोबल वार्मिंग के लिए कहीं ना कहीं योगदान दे रहा है। शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने हाल ही में एक अध्ययन किया और पाया कि यू.के. में निर्मित हर 800 ग्राम ब्रेड के निर्माण से 0.589 किलोग्राम कार्बन-डाइऑक्साइड पैदा होती है।

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टीम अपने प्रयोगों के बाद यह निर्धारित करने में पूरी तरह से तैयार थी कि ब्रेड के उत्पादन के चरण तो अहम होता ही है उसके साथ-साथ गेहूं किस क्षेत्र से आता है, यह भी बहुत मायने रखता है। गेहूं, रोटी का उत्पादन तेजी से करने के लिए अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक की जरूरत है, उनकी गणना के आधार पर, अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक 800 ब्रेड के लिए 43 प्रतिशत कार्बन का खपत करता है। उर्वरक के बिना आज के समय में तेजी से खेती करना का सीधा मतलब ये है कि कम उत्पादन होना, और उस कम उत्पादन से होने वाली हानि की कीमत को ग्लोबल वार्मिंग के रूप में चुकाना पड़ता है।

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पर्यावरण को प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं में और भी अन्य प्रोसेस शामिल हैं जैसे मिट्टी, कटाई और सिंचाई शामिल हैं। सभी प्रक्रियाओं को मशीनों के उपयोग की आवश्यकता होती है, जो हवा में प्रदूषण को जारी करता है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के बाद कहा कि उपभोक्ता आमतौर पर कुछ उत्पादों से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों से अनजान होते हैं, जो खासतौर से भोजन के मामले में होते हैं, जहां मुख्य चिंताएं स्वास्थ्य या पशु कल्याण होती हैं।

 

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