जहाँ गुजरात चुनाव में भाजपा को कांग्रेस ने पानी पिला दिया वहीं हिमाचल प्रदेश की विधानसभा चुनावों में कमल ने हाथ को आराम से पीछे छोड़ दिया। हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटों पर जहाँ भाजपा को 44 सीटें मिलीं वहीं कांग्रेस महज़ 21 सीटों पर ही सिमट गई। अन्य के खाते में 3 सीटें आईं हैं। लेकिन अगर भाजपा की जीत की बात की जाए तो ये पहले से ही तय लग रही थी। क्योंकि कांग्रेस ने खुद को पूरी तरह से गुजरात में झोंक कर रख दिया था।
कांग्रेसी नेता और अब पूर्व मुख्यमंत्री हो गए वीरभद्र सिंह जहाँ आरकी सीट से चुनाव जीत गए हैं वहीं भाजपा के मुख्यमंत्री और इस बार के अब तक के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए हैं। उनको उनके ही करीबी राजेंद्र राणा ने 3500 मतों से हरा दिया है। ये हार भाजपा के अंदर ही नहीं जनता के अंदर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा इसलिए भी हो रही कि पूरा चुनाव धूमल के नेतृत्व में लड़ा गया और धूमल ही चुनाव हार गए।

धूमल की इस हार के बाद अब समीकरण बदल गए हैं। अब धूमल को पार्टी ने किनारे कर दिया है। जीत के बाद भी हिमाचल में भाजपा संकट में घिरती हुई दिख रही है। मुख्यमंत्री की रेस में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा का नाम सबसे आगे चल रहा है। वहीं जयराम ठाकुर का नाम भी सीएम की दौड़ में शामिल है। हिमाचल में नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और नरेंद्र सिंह तोमर को पर्यवेक्षक बनाया गया है। सीएम के नाम पर आखिरी मुहर बीजेपी संसदीय बोर्ड को लगानी है।