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रामविलास पासवान की मृत्यु से बदल सकता है बिहार विधानसभा चुनाव का समीकरण

पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ पार्टियों के लिए परेशानी बन सकती है। चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन को जेडीयू के नेतृत्व से ना खुश होते हुए छोड़ दिया था और अब रामविलास पासवान की मृत्यु जेडीयू के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती
रामविलास पासवान की मृत्यु से बदल सकता है बिहार विधानसभा चुनाव का समीकरण

पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ पार्टियों के लिए परेशानी बन सकती है। चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन को जेडीयू के नेतृत्व से ना खुश होते हुए छोड़ दिया था और अब रामविलास पासवान की मृत्यु जेडीयू के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
दरअसल रामविलास पासवान के मृत्यु के बाद बिहार में संवेदना की लहर दौड़ रही है जिसका फायदा चिराग पासवान को बिहार विधानसभा चुनाव में हो सकता है और क्यों की चिराग पासवान ने नीतीश सरकार को कई मुद्दों पर घेरा है और एनडीए में भी उनके नेतृत्व से खासा ना खुश नजर आ रहे थे जिसके कारण उन्होंने एनडीए गठबंधन को छोड़ दिया है और जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतार रहे हैं। इसका जनता दल यूनाइटेड को खासा नुकसान सहना पड़ सकता है और चुनावी समीकरण में बदलाव भी देखने को मिल सकता है।
बिहार में रामविलास पासवान दलितों के इकलौते बड़े नेता थे। लोकसभा के लिए बिहार में सुरक्षित सीटों पर पासवान परिवार का ही कब्जा है। बिहार के 5 जिलों में दलित वोटर एक बड़े फैक्टर के रूप में काम करते हैं। पासवान के निधन से एक सहानुभूति की लहर है। जिसका फायदा राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी को हो सकती है। क्योंकि उनके बेटे चिराग पासवान पहले से ही बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
बिहार में अभी की तारीख में महादलित और दलित वोटरों की आबादी कुल 16 फीसदी के करीब है। 2010 के विधानसभा चुनाव से पहले तक रामविलास पासवान इस जाति के सबसे बड़े नेता बताते रहे हैं। दलित बहुल्य सीटों पर उनका असर भी दिखता था। लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने नीतीश का साथ नहीं दिया था। इससे खार खाए नीतीश कुमार ने दलित वोटों में सेंधमारी के लिए बड़ा खेल कर दिया था। 22 में से 21 दलित जातियों को उन्होंने महादलित घोषित कर दिया था। लेकिन इसमें पासवान जाति को शामिल नहीं किया था।
दरअसल, रामविलास पासवान के निधन से बिहार में सहानुभूति की लहर है। बिहार में 5 ऐसे जिले हैं, जहां पासवान परिवार का दबदबा है। पासवान के साथ एक बड़ा फैक्टर यह भी था कि अगड़ी जाति के लोग भी उन्हें पसंद करते थे। क्योंकि उन्होंने कभी भी कोई विवादित बयान नहीं दिया था। समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई, वैशाली और नालंदा में महादलित वोटों की अच्छी खासी आबादी है।

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