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शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव

कालभैरव अष्टमी इस वर्ष 19 नवंबर को मनाई जाएगी और इस दिन काल भैरव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार लिया था। ऐसा भी कहा जाता हैं कि इस दिन जो मनुष्य काल भैरव की भक्ति करता हैं, उसके सभी पाप मिट जाते हैं। काल भैरव की पूजा करने से राहु का प्रभाव भी कम हो जाता हैं।
शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव

हिंदू धर्म में कालभैरव अष्टमी के पर्व को बहुत ही खास महत्व दिया जाता हैं। वही कालभैरव अष्टमी इस वर्ष 19 नवंबर को मनाई जाएगी और इस दिन काल भैरव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार लिया था। ऐसा भी कहा जाता हैं कि इस दिन जो मनुष्य काल भैरव की भक्ति करता हैं, उसके सभी पाप मिट जाते हैं। काल भैरव की पूजा करने से राहु का प्रभाव भी कम हो जाता हैं। तो आइए जानते हैं काल भैरव से जुड़ी कुछ खास बातें।शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव

शिव महापुराण में वर्णित ब्रह्माजी और भगवान विष्णु के बीच हुए संवाद में भैरव की उत्तपित् से जुड़ा उल्लेख मिलता हैं। एक बार भगवान श्री हरि ने ब्रह्माजी से पूछा कि इस ब्रह्माण्ड का श्रेष्ठतम रचनाकर कौन हैं। इस सवाल पर ब्रह्माजी ने स्वयं को सबसे श्रेष्ठ बताया।शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव ब्रह्माजी का उत्तर सुनने के बाद श्री विष्णु उनके शब्दों में समाहित अहंकार और अति आत्मविश्वास से क्रोधित हो गए और दोनो मिलकर चारों वेदों के पास अपने सवाल का उत्तर करने के लिए गए। पहले वे ऋग्वेद के पास पहुंचे। ऋग्वेद ने जब उनका जवाब सुना तो कहा, शिव ही सबसे श्रेष्ठ हैं। वो सर्वशक्तिमान हैं और सभी जीव जंतु उन्हीं में समाहित हैं। जब ये सवाल यजुर्वेद से पूछा गया तो उन्होंने उत्तर दिया, यज्ञों के द्वारा व्यक्ति जिस पूजते हैं वही सबसे श्रेष्ठ हैं और वो शिव हैं।शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव

सामवेद ने उत्तर दिया विभिन्न साधक और योगी जिसकी पूजा करते हैं वही सबसे श्रेष्ठ हैं और जो इस पूरे विश्व को नियंत्रित करता हैं वो शिव हैं। अथर्ववेद ने कहा भक्ति मार्ग पर चलकर जिसे पाया जाता हैं वह शिव शंकर हैं। चारों वेदों के उत्तर सुनने के बाद भी विष्णु और ब्रह्माजी का अहंकार शांत नहीं हुआ और वे उनके जवाबों पर जोर जोर से हंसने लगे।शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव इतने में ही वहां दिव्य प्रकाश के रूप में शिव आ गए। शिव को देखकर ब्रह्मा का पांचवां सिर क्रोध की अग्नि में जलने लगा। उसी वक्त शिव ने अपने अवतार की रचना की और उसे काल नाम देकर कहा कि ये काल यानी मृत्यु का राजा हैं। वह काल या मृत्यु का राजा कोई और नहीं शिव का अवतार भैरव था।

कालभैरव अष्टमी इस वर्ष 19 नवंबर को मनाई जाएगी और इस दिन काल भैरव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार लिया था। ऐसा भी कहा जाता हैं कि इस दिन जो मनुष्य काल भैरव की भक्ति करता हैं, उसके सभी पाप मिट जाते हैं। काल भैरव की पूजा करने से राहु का प्रभाव भी कम हो जाता हैं। शिव के क्रोध से अवतरित हुए थे काल भैरव

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