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Bhagat Singh Jayanti: असेंबली में बम फेंकने का मकसद किसी को नहीं था मारना, जानें शहीद भगत सिंह का वो सफर…..

दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रैल 1929 की तारीख इतिहास के पन्नों में उस दिन दर्ज हो गई थी जब मुजाहिदे आजादी ने बम फेंककर अंग्रेजी हुकूमत को अपनी आवाज पहुंचाई थी। आज उसी अजीम शख्स शहीदे आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। हमारा मुल्क आज ऐसे जाबांजों की कुर्बानियों को हमेशा याद रखेगा। आज
Bhagat Singh Jayanti: असेंबली में बम फेंकने का मकसद किसी को नहीं था मारना, जानें शहीद भगत सिंह का वो सफर…..

दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रैल 1929 की तारीख इतिहास के पन्नों में उस दिन दर्ज हो गई थी जब मुजाहिदे आजादी ने बम फेंककर अंग्रेजी हुकूमत को अपनी आवाज पहुंचाई थी। आज उसी अजीम शख्स शहीदे आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। हमारा मुल्क आज ऐसे जाबांजों की कुर्बानियों को हमेशा याद रखेगा। आज ही के दिन यानी 28 सितंबर 1907 को शहीद भगत सिंह लायलपुर के बंगा में (जो अब पाकिस्तान में है) पैदा हुए थे। गुलाम हिंदुस्तानी मुल्क में जन्मे भगत सिंह ने बचपन से ही अग्रेजों से आजाद होने का ख्वाब देखा था।

Bhagat Singh Jayanti: असेंबली में बम फेंकने का मकसद किसी को नहीं था मारना, जानें शहीद भगत सिंह का वो सफर….. कम उम्र में ही अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने के लिए अपने कदम बढ़ाते रहे। एक दिन उन्होंने अंग्रेजी हुकुमत की बुनियादी नींव को हिलाकर रख दिया और खुद हंसते-हंसते फांसी के तख्त पर लटक गए। भगत सिंह का मुल्क के लिए कुर्बान होने का जज्बा आज भी हिंदुस्तान की आवाम में बसा है। 26 अगस्त 1930 को अदालत ने भगत सिंह पर इलजाम साबित कर दिया। 7 अक्टूबर 1930 को अदालत ने भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी की सजा का ऐलान किया।

Bhagat Singh Jayanti: असेंबली में बम फेंकने का मकसद किसी को नहीं था मारना, जानें शहीद भगत सिंह का वो सफर…..

इसके साथ ही लाहौर में दफा 144 लागू कर दी गई। उस वक्त कांग्रेस के पंडित मदन मोहन मालवीय ने वायसराय के सामने सजा माफी के लिए 14 फरवरी 1931 को अपील दायर की। भगत सिंह की फांसी की सजा को माफ कराने के लिए महात्मा गांधी ने भी वायसराय से बात की। लेकिन भगत सिंह नहीं चाहते थि कि उनकी सजा माफ की जाए। 23 मार्च 1931 को शाम करीब 7.33 बजे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी दे दी गई।

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