Samachar Nama
×

सीईए ने कहा, आईबीसी से कर्जदारों में बेहतर कर्ज संस्कृति सुनिश्चित हुई

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम ने बुधवार को कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से कर्जदारों के मन में कर्ज की एक संस्कृति विकसित की गई है, जिससे फंसी हुई परिसंपत्ति से अधिकतम मूल्य सुनिश्चित होता है।मूल्य में भारी कटौती के विषय में पूछे गए सवालों पर कही।
सीईए ने कहा, आईबीसी से कर्जदारों में बेहतर कर्ज संस्कृति सुनिश्चित हुई

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम ने बुधवार को कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से कर्जदारों के मन में कर्ज की एक संस्कृति विकसित की गई है, जिससे फंसी हुई परिसंपत्ति से अधिकतम मूल्य सुनिश्चित होता है।

सीईए ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “जब कभी संकट में फंसी हुई संपत्ति पर तत्काल ध्यान नहीं दिया जाता है तब उसकी कीमत घटती चली जाती है। इसलिए आईबीसी से आपको सिर्फ यह मदद मदद मिलती है कि आपको कीमत वसूल हो जाती है। कई मौजूदा एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) की समस्याएं विरासत में मिली थीं। आईबीसी के नहीं होने से यह फोड़ा और बढ़ता ही चला जाता।”

उन्होंने कहा, “अब आईबीसी से मूल्य की वापसी संभव हुई है, लेकिन इस प्रक्रिया से मूल्य सृजन नहीं हो सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि अगर कुछ मूल्य है तो विनियमन से आपको मौजूदा हालात में बेहतर प्राप्त करने में मदद मिलेगी।”

उन्होंने कहा, “आईबीसी अवांछित हालात से बेहतर प्राप्त करने का प्रयास है। यह कोई जादुई समाधान नहीं है, बल्कि बेहतर कर्ज संस्कृति बनाने का एक उपाय है। जब कोई संपत्ति पहले से ही दबाव में है तो आईबीसी यह देखेगी कि बैंक कम से कम नुकसान के साथ इससे कैसे निकल सकता है।”

सीईए ने यह बात एनपीए के संबंध में संपत्ति के मूल्य में भारी कटौती के विषय में पूछे गए सवालों पर कही।

उनसे जब पूछा गया कि एनपीए से बचने के लिए बैंकों को क्या करना चाहिए तो उन्होंने कहा, “बैंक का काम जोखिमों का अच्छी तरह मूल्यांकन करना है।”

उन्होंने कहा, “बैंकों को अर्थव्यवस्था की जरूरतों के लिए कर्ज देना होता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होता है कि क्या कर्ज देना सही है। बड़े कर्ज के मामले में चूक की दरें ज्यादा हैं। छोटे कर्ज के मामले में कंपनी के खोने का खतरा बड़ा होता है। इसलिए चूक की संभावना कम होती है।”

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम ने बुधवार को कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से कर्जदारों के मन में कर्ज की एक संस्कृति विकसित की गई है, जिससे फंसी हुई परिसंपत्ति से अधिकतम मूल्य सुनिश्चित होता है।मूल्य में भारी कटौती के विषय में पूछे गए सवालों पर कही। सीईए ने कहा, आईबीसी से कर्जदारों में बेहतर कर्ज संस्कृति सुनिश्चित हुई

Share this story