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कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी

रमेशचंद्र गंगाराम 'बापू' नाडकर्णी ने शुक्रवार को अन्तिम सांस ली। 'बापू' नाडकर्णी ने 86 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। नाडकर्णी का टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं। उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा।
कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी

जयपुर (स्पोर्टस् डेस्क ) पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर आलराउंडर रमेशचंद्र गंगाराम ‘बापू’ नाडकर्णी ने शुक्रवार को अन्तिम सांस ली। ‘बापू’ नाडकर्णी ने 86 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘बापू’ नाडकर्णी पूरा क्रिकेट जगत ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। नाडकर्णी बाएं हाथ के बल्लेबाज और बाएं हाथ के स्पिनर थे। उनके नाम इतिहास में टेस्ट क्रिकेट के अद्भुत रिकॉर्ड दर्ज है।

कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी बता दें कि नाडकर्णी ने एक टेस्ट मैच में लगातार 21 मेडेन ओवर डालने का रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने 1955 से लेकर 1968 तक भारत के लिए 41 टेस्ट मैच खेले थे, जिसमें उन्होंने 1414 रन बनाने के अलावा 88 विकेट भी हासिल किए थे। बापू नादकर्णी के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। नाडकर्णी के दामाद विजय खरे ने पीटीआई से कहा, ‘उनका उम्र संबंधी परेशानियों के कारण निधन हुआ।

कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी

बापू नादकर्णी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं। उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा। बापू का टेस्ट क्रिकेट में अद्भुत रिकॉर्ड 56 साल पहले की थी करामाती गेंदबाजी बापू नादकर्णी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं। उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा।

कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी

बापू ने अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी की बदौलत 1964 में मद्रास के नेहरू स्टेडियम में अंग्रेजों को रन के लिए तरसाया था। टेस्ट में लगातार 131 गेंदों में एक भी रन नहीं देने का कीर्तिमान रखते है। बापू नादकर्णी ने 56 साल पहले 12 जनवरी को यह कारनामा किया था।

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आपको बता दें कि बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में नाबाद 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था। वे नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे। उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी।

कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी

रमेशचंद्र गंगाराम 'बापू' नाडकर्णी ने शुक्रवार को अन्तिम सांस ली। 'बापू' नाडकर्णी ने 86 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। नाडकर्णी का टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं। उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा। कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद रहेंगे -बापू नादकर्णी

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