इस धनतेरस अष्टलक्ष्मी फलदायी के बन रहे है शुभ संयोग
आपको बता दें कि धनतेरस का पर्व दिवाली के त्योहार से पहले मनाया जाता हैं यह पर्व बहुत ही खास होता हैं वही इस बार धनतेरस पर लग्नादि, चंद्र मंगल, सदा संचार और अष्टलक्ष्मी फलदायी शुभ संयोग बन रहे हैं। वही दो दिन खरीदारी का भी योग बना हैं। वही ज्योतिष के मुताबिक धनतेरस पर सूर्य कृत उभयचरी नामक महान शुभ फलदायक संयोग निर्मित हो रहा हैं वही धनतेरस और दिवाली पर स्थिर लग्न में महालक्ष्मी, श्री गणेश, सरस्वती और धन कुबेर की पूजा सुख समृद्धि का वरदान लेकर आ रही हैं।
वही ज्योतिष ने बताया कि पांच दिवसीय दीप महोत्सव का शुभारंभ धनतेरस के दिन से हो रहा हैं। 25 अक्टूबर को आयुर्वेद के जनक धनवंतरि ऋषि की पूजा होगी। वही पंचांग के मुताबिक दिवाली और धनतेरस में पूजा स्थिर लग्न में आरंभ करें। फिर अपनी सुविधानुसार जबतक इच्छा हो, पूजा कर सकते हैं।
जानिए मुहूर्त—
25 अक्टूबर शाम 4:42 बजे से 26 की दोपहर 2:29 बजे तक मुहूर्त
27 अक्टूबर को दिवाली और काली पूजा, गोवर्धन पूजा 28 को होगी।
वृष लग्न में शाम 6:50 बजे से रात 8:42 तक, संह लग्न में मध्य रात्रि 1:13 बजे से 3:29 बजे तक, तुला वाले सुबह 5:44 से आठ बजे तक, वृश्चिक में सुबह 8 से 10 :15 बजे तक, कुंभ लग्न में दोपहर 2:10 बजे से 3:40 बजे तक पूजा का मुहूर्त हैं। वही सनातन परंपरा के मुताबिक, सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोषकालीन समय में भी लक्ष्मी, गणेश की पूजा शुभ मानी जा रही हैं लग्न नहीं पता हो तो सूर्यास्त के आधा घंटा बाद पूजा करनी चाहिए। वही दिवाली और काली पूजा 27 अक्टूबर को होगी। काली पूजा मध्य रात्रि में करें।