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इनके संगम पर दिखते हैं दो रंग लेकिन फिर भी नहीं मिलते है ये महासागर

जयपुर। इस बात को सब जानते है कि धरती पर केवल 30 प्रतिशत भाग ही स्थल है बाकी 70% भूभाग पर पानी ही पानी है। धरती पर पानी की बात करे तो इसका अधिकांश भाग 5 महासागरों से घिरा हुआ है जो बहुत ही विशाल है। इस बात को सब जानते है कि पानी का
इनके संगम पर दिखते हैं दो रंग लेकिन फिर भी नहीं मिलते है ये महासागर

जयपुर। इस बात को सब जानते है कि धरती पर केवल 30 प्रतिशत भाग ही स्थल है बाकी 70% भूभाग पर पानी ही पानी है। धरती पर पानी की बात करे तो इसका अधिकांश भाग 5 महासागरों से घिरा हुआ है जो बहुत ही विशाल है। इस बात को सब जानते है कि पानी का कोई रंग नहीं होता है। तभी तो दो महासागर की सीमाओं का सटिक ढंग से निर्धारण कर पाना वैज्ञानिकों के लिए बहुत मुश्किल है। लेकिन इस दुनिया में दो महासागर ऐसे हैं जिनके संगम पर पानी का रंग अलग अलग है। उस इससे उनकी सीमा आराम से आंकी जा सकती है।इनके संगम पर दिखते हैं दो रंग लेकिन फिर भी नहीं मिलते है ये महासागर

इन महासागरों की सीमा पर दोनो का पानी अपने अलग अलग रंग के कारण एक सीमा रेखा की तरह नजर आता है। जबकि पानी के लिए यो बात नामुमकिन होती है। इनकी सीमा पर दोनों का पानी आपस में मिलता नहीं बल्कि अलग अलग दिखता है। इस अनोखे नजारे को देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं। ये दो महासागर सबसे बड़े हिंद महासागर और प्रशांत महासागर अलास्का की खाड़ी में एक दूसरे से मिलते हैं। इसी जगह पर यह जल सीमा बनाते हैं। इन महासागरों के इस नायाब मिलन को कुदरत का एक बहुत ही बड़ा करिश्मा कहा गया है।इनके संगम पर दिखते हैं दो रंग लेकिन फिर भी नहीं मिलते है ये महासागर

यहां से गुजरने वाले पानी के जहाज इसे नजारें को देखने के लिए अक्सर यहां थोड़ी देर रुक जाते है। यहां पर आप पानी के दो रंगों से रूबरू हो सकते हैं। इस बात का तो आपको पता ही होगा कि एक ग्‍लेशियर से आने वाला हल्‍का नीला होता हैं तो दूसरा समंदर से आने वाला गहरा नीला पानी होती है और इन दोनों के मिलने पर झाग की एक दीवार बन जाती है। वैज्ञानिकों ने शोध से ज्ञात किया है कि यहां खारे और मीठे पानी के अलग अलग घनत्व और उनमें मौजूद लवण और तापमान में भिन्नता पाए जाने के कारण ही यह नायाब नजारा बनता है।इनके संगम पर दिखते हैं दो रंग लेकिन फिर भी नहीं मिलते है ये महासागर

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