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दुःस्वप्न एक गंभीर मानसिक रोग है, कहीं आप इससे ग्रसित तो नहीं है?

कुछ समय पहले ही बैंड ओरेगोन के एक अस्पताल में पांच लोगों को दु:स्वप्न से ग्रसित होने के कारण भर्ती कराया गया हैं। सुबह-सुबह ही एक 70 साल की बूढ़ी औरत की केयरटेकर ने पुलिस को फोन करके बुला लिया कि कोई उसके वाहन को क्षतिग्रस्त कर रहा है। पुलिस ने आकर देखा तो वाहन
दुःस्वप्न एक गंभीर मानसिक रोग है, कहीं आप इससे ग्रसित तो नहीं है?

कुछ समय पहले ही बैंड ओरेगोन के एक अस्पताल में पांच लोगों को दु:स्वप्न से ग्रसित होने के कारण भर्ती कराया गया हैं। सुबह-सुबह ही एक 70 साल की बूढ़ी औरत की केयरटेकर ने पुलिस को फोन करके बुला लिया कि कोई उसके वाहन को क्षतिग्रस्त कर रहा है। पुलिस ने आकर देखा तो वाहन सही सलामत खड़ा था, और आसपास कोई संदिग्ध गतिविधि भी नज़र नहीं आई। पुलिस ज़रूरी छानबीन करके चली गई। लेकिन कुछ देर बाद उस महिला ने दोबारा पुलिस को फोन करके अन्य घटना होने के बारे में बताया, जो भी झूठ ही निकली। आखिरकार पुलिस ने उस महिला को समझाया कि वह दुःस्वप्न या मतिभ्रम का शिकार है, तथा उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

कुछ मामलों में मतिभ्रम का कारण मानसिक रोग, माइग्रेन, या फिर अन्य कोई रोग था। कुछ लोगों को एक विशेष मतिभ्रम होता है, जिसे कैंपफायर प्रभाव कहते हैं। इसमें व्यक्ति को रात के समय चीजों के टकराने की आवाज़ें सुनाई देती हैं, तथा हर तरफ आग ही आग दिखाई देती है। विशेषज्ञों के अनुसार मतिभ्रम का कारण अनियमित मानसिक गतिविधिया भी हो सकती हैं। कार्डिफ यूनिवर्सिटी व कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधतकर्ताओं ने यह बताया है कि हम सभी किसी ना किसी तरह के मतिभ्रम के शिकार रहते हैं, बस उसकी मात्रा कम ज्यादा होती रहती है।

सबसे आम मतिभ्रम हैं कान का मतिभ्रम, जिसमें व्यक्ति आम तौर पर ऐसी काल्पनिक आवाज़ें सुनता हैं, जो उसके आसपास घटित होती हुई नज़र आती हैं। उसे लगता है वो आवाज़ सभी को सुनाई दे रही है। ऐसे रोगी कभी भी अपना व्यवहार बदल सकते हैं। हालांकि दृश्य मतिभ्रम कम लोगों में देखा जाता हैं, इसमें लोगों को कुछ अजीब दृश्य नज़र आते हैं, जो वास्तव में काल्पनिक होते हैं। जैसे रोशनी, दानव, गिरते हुये लोग, पहाड़, वस्तुएं आदि। एक शारीरिक दु:स्वप्न के अंतर्गत रोगी को वास्तविक उत्तेजनाओं का अनुभव नहीं हो पाता है, और वह काल्पनिक भावनाओं को सच मान लेता हैं।

दु:स्वप्न या मतिभ्रम जैसा मानसिक विकार एक प्रकार का पागलपन कहा जा सकता है। यह मुख्यतया मानसिक आघात, किसी दिमागी दुर्घटना, पोस्टट्रॉमैटिक तनाव, या फिर नशे की लत के कारण भी हो सकता है। नशीली दवाओं के लगातार उपयोग व शराब की लत के कारण भी व्यक्ति मतिभ्रम का शिकार हो जाता है। कभी-कभी किडनी फैल हो जाने पर, या मस्तिष्क में ट्यूमर हो जाने से भी मतिभ्रम उत्पन्न हो जाता है। जो लोग कॉफी का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं, उनमें भी मतिभ्रम होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

डरहम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार जब शरीर तनावग्रस्त रहता है तो कोर्टिसोल हॉर्मोन स्त्रावित होता है। यह हॉर्मोन कैफीन उत्पाद के कारण भी बहुत बढ़ जाता है। कोर्टिसोल का यह उच्च स्तर मतिभ्रम का मुख्य कारण माना जा सकता है।

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