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इंसान के नाक से मिला एंटीबायोटिक्स बैक्टिरीया

जयपुर। जितनी बिमारीयां उतने ही इलाज है इस दुनिया में वैज्ञनिक हर नई नई तकनीक से बड़ी से बड़ी बिमारी को उखाड़ फेंकने में सक्षम है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इंसान की नाक में एक ऐसे बैक्टीरिया का पता लगाया है जिससे निकलने वाला कम्पाउंड कई खतरनाक रोगाणुओं को मार सकता है। इससे बैक्टिरीया
इंसान के नाक से मिला एंटीबायोटिक्स बैक्टिरीया

जयपुर। जितनी बिमारीयां उतने ही इलाज है इस दुनिया में वैज्ञनिक हर नई नई तकनीक से बड़ी से बड़ी बिमारी को उखाड़ फेंकने में सक्षम है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इंसान की नाक में एक ऐसे बैक्टीरिया का पता लगाया है जिससे निकलने वाला कम्पाउंड कई खतरनाक रोगाणुओं को मार सकता है।इंसान के नाक से मिला एंटीबायोटिक्स बैक्टिरीया

इससे बैक्टिरीया से एंटीबायोटिक बनाया जा सकता है। इससे एक ऐसी कई एंटीबायोटिक दवाएं होंगी जो आज की दवाओं से बेअसर हो चुके रोगों और बैक्टीरियल संक्रमणों को ठीक कर सकेंगी। वायरस से होने वाले कई संक्रमणों में नाक पर सीधा असर होता है। असल में नाक के अंदर रहने वाले 50 से भी अधिक तरह के बैक्टीरिया का पता चल चुका है।इंसान के नाक से मिला एंटीबायोटिक्स बैक्टिरीया

अब तक बनाए गए कई एंटीबायोटिक्स को मिट्टी या फिर पर्यावरण में पाए जाने वाले दूसरे बैक्टीरिया से विकसित किया गया है। लेकीन रिसर्चरों ने बताया कि इंसानों से मिलने वाले माइक्रोऑर्गेनिज्म की दुनिया को खंगालना अभी बाकी है। इस नए आविष्कार में नाक के छेद में रहने वाले बैक्टीरिया स्टेफाइलोकॉक्कस लुगडुनेसिस से ही लुगडुनिन पैदा होता है।इंसान के नाक से मिला एंटीबायोटिक्स बैक्टिरीया

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