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चीन में मरीजों के रक्त में मिला एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु

शोधकर्ताओं ने चीन में दो मरीजों के रक्त में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु की नई प्रजाति पाई है। शोध से पता चलता है कि मरीजों में अज्ञात प्रजाति के एंटेरोबैक्टर हयासिएनसिस और एंटेरोबैक्ट चवाडेनसिस मौजूद थे, जो पेनसिलिन या सिफालोस्पोरिन समूह के एंटीबायोटिक से प्रभावित नहीं हो रहे थे। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, एंटेरोबैक्टिरियासी
चीन में मरीजों के रक्त में मिला एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु

शोधकर्ताओं ने चीन में दो मरीजों के रक्त में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु की नई प्रजाति पाई है। शोध से पता चलता है कि मरीजों में अज्ञात प्रजाति के एंटेरोबैक्टर हयासिएनसिस और एंटेरोबैक्ट चवाडेनसिस मौजूद थे, जो पेनसिलिन या सिफालोस्पोरिन समूह के एंटीबायोटिक से प्रभावित नहीं हो रहे थे।

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, एंटेरोबैक्टिरियासी आम तौर पर आंत में पाया जाता है और हानिकारक नहीं होता है। हालांकि, वे अगर खून में मिल जाते हैं तो मैनिन्जाइटिस या फेफड़ों में प्रवेश करने पर निमोनिया पैदा कर सकते हैं।

चीन के सिचुआन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीवाणु की नई प्रजाति के उभरने से प्राणघातक संक्रमण होंगे, जिनका इलाज मुश्किल होगा, जिनकी इलाज में देरी होने से सेप्सिस हो सकता है।

इस शोध का प्रकाशन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सिस्टेमेटिक एंड इवोल्यूशनरी माइक्रोलॉजी में किया गया है। इसमें कहा गया है कि सूक्ष्मजीवों के जेनेटिक विश्लेषण से खुलासा हुआ है कि वे पहले अज्ञात रहे हैं।

इसके अतिरिक्त कहा गया है कि नए खोजे गए स्ट्रेन, अन्य एंटेरोबैक्टिरिएसी प्रजातियों के सुगर व पोटैशियम लवणों को तोड़ने की क्षमता से अलग हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है कि अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो दुनिया ‘पोस्ट-एंटीबायोटिक’ काल की तरफ बढ़ रही है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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