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डायनासोर के समय में धरती पर थी एक और अद्भुत प्रजाति

जयपुर। प्रकृति में कई करोड़ साल पहले कई तरह तरह के जीव थे जिनके आज हमें जीवाश्म मिलते है। इसी की मदद से आज हम तकनीके जरीये देख पा रहे है। हाल ही में हुई एक खोज से ज्ञात हुआ है कि जुरासिक पार्क में उड़ने वाले सरीसृप भी थे जो आज के समय में
डायनासोर के समय में धरती पर थी एक और अद्भुत प्रजाति

जयपुर। प्रकृति में कई करोड़ साल पहले कई तरह तरह के जीव थे जिनके आज हमें जीवाश्म मिलते है। इसी की मदद से आज हम तकनीके जरीये देख पा रहे है। हाल ही में  हुई एक खोज से ज्ञात हुआ है कि जुरासिक पार्क में उड़ने वाले सरीसृप भी थे जो आज के समय में जीवित नहीं है। ऐसी ही कई प्रजातियां है जो धरती पर एस्ट्रोइड गिरने से पहले मौजूद थी। डायनासौर इसका एक सबसे बड़ा समूह है।डायनासोर के समय में धरती पर थी एक और अद्भुत प्रजाति

वैज्ञानिकों ने कई शोध कर इस बात की पुष्टि की है कि अगर 30 सेंकड बाद गिरता तो दुनिया कुछ और ही होती लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसा घटना का एक और किस्सा सामने आया है। दक्षिणी अमेरीका में वैज्ञानिकों ने टेरॉसौर की नई प्रजाति का पता लगाया है। आपको बता दे कि टेरॉसौर जुरासिक के शुरुआती दौर के उड़ने वाले जीव है जो विलुप्त हो चुके सरीसृपों का समूह है।  शोधकर्ताओं के मुताबिक पाटागोनिया क्षेत्र में मिले कपाल के अंश को देखा तो ज्ञात कियाडायनासोर के समय में धरती पर थी एक और अद्भुत प्रजाति

वैज्ञानिकों ने बताया कि यह कपाल अच्छी तरह संरक्षित थे और काफी अच्छी हालत में थे। इसी का अध्ययन करके उन्होंने एक नई प्रजाति को खोज निकाला है इसकी नाम ‘ऑलकोरेन कोई’ दिया है। यह टुऑलची भाषा का शब्द है इस नाम का मतलब जिसमें ‘ऑल’ का मतलब ‘मस्तिष्क’ के लिए है जबकि ‘कोरेन’ का मतलब प्राचीन है। यह अर्जेंटिना के उत्तरी केंद्रीय चुबुट प्रांत में पाए गए थे।डायनासोर के समय में धरती पर थी एक और अद्भुत प्रजाति

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