Angarki sankashti chaturthi: अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मनोकामनाएं होंगी पूरी
व्रत त्योहारों को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता हैं वही हर मास में दो चतुर्थी पड़ती हैं यह तिथि भगवान श्री गणेश की पूजा को समर्पित होती हैं शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता हैं फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आज यानी 2 मार्च दिन मंगलवार को पड़ रही हैं मंगलवार के दिन चतुर्थी पड़ने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी भी कहा जाता हैं इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। ज्योतिष अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करने के साथ ही व्रत कथा को भी पढ़ना या सुनना चाहिए मान्यता है कि व्रत कथा को पूजा के बाद पढ़ने से इच्छाएं पूरी हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा।
एक बार माता पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने द्वार पर श्री गणेश को खड़ा कर दिया और कहा कोई अंदर न आ पाए। लेकिन तभी कुछ देर बाद शिव वहां पहुंच गए तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र गणेश का यह हाल देखकर मां पार्वती बहुत दुखी हुई और शिव जी से अपने पुत्र को जीवित करने का हठ करने लगी। जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया। तब से उनका नाम गजमुख, गजानन हुआ। इसी दिन से गणेश जी को प्रथम पूज्य होने गौरव भी हासिल हुआ और उन्हें वरदान मिला कि जो भी भक्त या देवता आपकी पूजा व व्रत करेगा उनके सारे संकटों का हरण होगा और मनोकामना भी पूरी होगी।