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नवपाषाणकालीन औजारों पर पाई गई है एक प्राचीन लिपि

जयपुर। जमीन में दुनिया के कई राज़ दबे हुए है। दुनिया के जानने के लिए वैज्ञानिक कई तरह के शोध करते रहते हैं। इसी दिशा में केरल के एर्नाकुलम जिले में पुरातन विभाग को खुदाई के दौरान बहुत ही खास चीज़ें प्राप्त की है जो कि एक अस्तित्व की कथा सुनाती हैं। आपको बता दे
नवपाषाणकालीन औजारों पर पाई गई है एक प्राचीन लिपि

जयपुर। जमीन में दुनिया के कई राज़ दबे हुए है। दुनिया के जानने के लिए वैज्ञानिक कई तरह के शोध करते रहते हैं। इसी दिशा में केरल के एर्नाकुलम जिले में पुरातन विभाग को खुदाई के दौरान बहुत ही खास चीज़ें प्राप्त की है जो कि एक अस्तित्व की कथा सुनाती हैं। आपको बता दे कि प्राचीन कलात्मक वस्तुओं पर एक बहुत पुरानी लिपि पाई गई है। शोधकर्ताओं ने इसके बारे में बताया कि इस लिपि को ब्राह्मी लिपि के तौर पर पहचाना गया है।नवपाषाणकालीन औजारों पर पाई गई है एक प्राचीन लिपि

कई तरह के शोध करने के बाद जाना की ये औजार नवपाषाणकाल के हैं। जानकारी के लिये बता दे कि यह खोज महापाषाण और नवपाषाण संस्कृति के अस्तित्व के बारे में बहुत कुछ जानकारी देती है। जानकारी दे दे कि ये पत्थर से निर्मित इन कलात्मक वस्तुओं का अध्ययन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वैज्ञानिक और केरल विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पुरातत्वविद डॉ. पी. राजेन्द्रन के निर्देशन में किया गया।नवपाषाणकालीन औजारों पर पाई गई है एक प्राचीन लिपि

बता दे कि ये वस्तुएं एर्नाकुलम जिले में मेक्कालादी के अंदेथ अली के निजी संग्रह का हिस्सा हैं। प्रोफेसर राजेन्द्रन ने अली इनका काफी गहनता से अध्ययन किया है। इन वस्तुओं की जांच करने के बाद ही ज्ञात हुआ है कि ये औजार नवपाषणकालीन और महापाषाणकालीन से संबंधित हैं। जानकारी दे दे कि इन औजारों पर जो लिपि अंकित की गई है, वो सदियों पुरानी ब्राह्मी लिपि है। प्रोफेसर राजेन्द्रन ने इनके बारे बताया कि ये कुल 18 कुल्हाड़ियों में से 3 कुल्हाड़ियों पर अंकित हो रखी लिपि वास्तव में ब्राह्मी लिपि ही है।नवपाषाणकालीन औजारों पर पाई गई है एक प्राचीन लिपि

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