17 नवंबर को है आंवला नवमी, इस शुभ और श्रेष्ठ मुहूर्त में करें पूजा
जयपुर। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवला नवमी मनाई जाती हैं। इस नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आंवला ऩवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा की जाती है। ज्योतिषियों का मानना है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से विशेष लाभ मिलता है इस दिन आंवले के पेंड के नीचे बैठने का विशेष महत्व है। इस साल अक्षय नवमी 17 नवंबर शनिवार के दिन है।
आंवला नवमी पूजा विधि
आंवला नवमी के दिन महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की सलामती के लिए पूजा करती हैं। आंवला नवमी के दिन बच्चों के लिए पूजा की जाती है। आंवला नवमी की पूजा में पूरे परिवार व बच्चें सहित शामिल होना चाहिए। आंवला नवमी में घर की महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर आंवला के पेड़ की पूजा करें, पूजा करने के बाद आंवले के पेड की परिक्रमा करें। ऐसा माना जाता है कि पूजा के बाद पूरा परिवार आंवले पेड़ के नीचे साथ बैठ कर खाना खाए तो इसके कई औषधि लाभ मिलते है। आंवले की पूजा करने से आयु आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
आंवला नवमी के दिन पूजा करने के लिए पूजा में इस सामग्री को जरुर रखें, इस सामग्री को पूजा में इस्तेमाल करने से पूजा का लाभ मिलता है।
आंवला व अक्षय नवमी की पूजा सामग्री
1) फल, फूल
2)धूप व अगरबत्ती
3)दीपक व देसी घी
4) दान के लिए अनाज
5) तुलसी के पत्ते
6) कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल
7) नारियल