बड़े—बुजुर्गो से बच्चो को मिलता सर्वांगीण विकास में योगदान
जयपुर।आज के जमाने में अपनी इच्छा और मर्जी से जिंदगी जीने के कारण लोग शादी के बाद अपने परिवार से अलग होकर खुद अलग दुनिया बसाने को पसंद करते है।लेकिन ऐसा करने से उनको फायदा होने के साथ ही नुकसान भी होता है। क्योंकि अगर ऐसा करने के बाद वह अपने बच्चो को छोडकर वर्किंग करते है इससे वे अपने बच्चो को पूरा समय नही दे पाते है।हालांकि इसके लिए वह केयरटेकर का इस्तेमाल करते है लेकिन यह काफी नही होता है।
असल में किसी भी घर में बड़े बुजुर्गों का होना बेहद आवश्यक होता है।घर के बड़े—बुजुर्ग हमेशा घर के लोगों को एकता और मजबूती के साथ रहने की सीख देते है और छोटे बच्चो के सर्वागीण विकास में अहम योगदान निभाते है। आज के दौर में जहां परिवार से अलग रहेन पेरेंटस अपने बच्चों को छोडकर जॉब करना पसंद करते है
और बच्चों की देखभाल करने के लिए केयरटेकर रखते है लेकिन केयर टेकर उन बच्चों को वहु गुण नही सीखा सिखती है जो कि घर में रहने वाले उनके दादा—दादी सिखा सकते है।क्योकि घर के बुजुर्गो के साथ भावनात्मक जुूडाव होता है और इससे बच्चों इमोशनली स्ट्रांग बनते है।इसके साथ बच्चे अपने दादा—दादी के साथ अपनी कुछ बातें और फीलिंग्स को शेयर करते है जिससे उनका मनोबल बढ़ता है।
इसके अलावा बच्चो के साथ दादा—दादी के रहने से बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित रहते है और उनके साथ रहने से बच्चों में कई प्रकार की अच्छी आदतों का भी विकास होता है।
वहीं दादा—दादी के साथ रहने से बच्चों का अकेलापन भी दूर होता है और उनमें भावनात्मक विकास बढ़ता है इससे उनका परिवार के प्रति गहरा लगाव भी बढ़ता है।