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कन्या पूजन: जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे देवी रूप कन्याओं के आर्शीवाद से

जयपुर। नवरात्र में देवी पूजा व उपासना करने वालों की पूजा तब तक सफल नहीं होती जब तक कन्या पूजा कर व्रत का पारायण नहीं किया जाता। इसके लिए नवरात्रि के नौ दिन में से अष्टमी व नवमी तिथि को शुभ माना जाता है। इन दिनों में कन्या पूजन करने से देवी की पूजा का
कन्या पूजन: जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे देवी रूप कन्याओं के आर्शीवाद से

जयपुर। नवरात्र में देवी पूजा व उपासना करने वालों की पूजा तब तक सफल नहीं होती जब तक कन्या पूजा कर व्रत का पारायण नहीं किया जाता। इसके लिए नवरात्रि के नौ दिन में से अष्टमी व नवमी तिथि को शुभ माना जाता है। इन दिनों में कन्या पूजन करने से देवी की पूजा का शुभ फल मिलता है व जीवन में आ रही परेशानियों का अंत होता है।

कन्या पूजन: जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे देवी रूप कन्याओं के आर्शीवाद से

नवरात्रि में सप्‍तमी तिथि से कन्‍या पूजन शुरू हो कर नवमी तक चलता है। कन्या पूजन में  कन्‍याओं को घर बुलाकर उन्हे भोजन कराकर सामर्थ के अनुसार दक्षिणा दी जाती है। छोटी छोटी कन्याओं को नौ देवी का रूप मान जाता है व इसका आर्शीवाद लिया जाता है जिससे जीवन की बाधाओं का अंत होता है। आज हम इस लेख में कन्या पूजन की विधि के बारे में बता रहे हैं जिससे कन्याओं का आशीर्वाद से जीवन में तरक्की की राह आसान होती है।

कन्या पूजन: जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे देवी रूप कन्याओं के आर्शीवाद से

  • कन्‍या पूजन के लिए कन्‍याओं को घऱ आने का आमंत्रित दिया जातै है, जिसके बाद कन्याओं की पूजा पूरे परिवार के दवारा की जाती है व मातृ शक्ति का आवाह्न किया जाता है। इसके बाद कन्याओं को साफ जगह पर बिठाकर उनके पैरों को दूध से भरे थाल में रखकर धोए जाते हैं व उनके पैर छूकर आशीष लिया जाता है।

कन्या पूजन: जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे देवी रूप कन्याओं के आर्शीवाद से

  • इसके बाद माथे पर तिलक लगा कर मां दुर्गा का ध्यान किया जाता है व कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन करा कर सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा व उपहार दे कर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेकर विदा किया जाता है।

कन्या पूजन: जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे देवी रूप कन्याओं के आर्शीवाद से

  • कन्या पूजन में कन्याओं की उम्र 2 तथा 10 साल तक होनी चाहिए इसके साथ ही ये संख्या में 9 होनी चाहिए व इनके साथ एक बालक जिसे लंगूर बोला जाता है वह भी होना चाहिए। जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती, उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है।

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