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कमेटी के सभी सदस्य नए कृषि कानून के पैरोकार : United Kisan Morcha

संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयान जारी करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित कमेटी में शामिल सभी चारों सदस्य नए कृषि कानून के पैरोकार हैं। मोर्चा की तरफ से जारी बयान में किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि हमें संतोष है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों
कमेटी के सभी सदस्य नए कृषि कानून के पैरोकार : United Kisan Morcha

संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयान जारी करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित कमेटी में शामिल सभी चारों सदस्य नए कृषि कानून के पैरोकार हैं। मोर्चा की तरफ से जारी बयान में किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि हमें संतोष है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी है।

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर हुई सुनवाई के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में किसानों के रुख को स्पष्ट कर दिया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मौखिक आदेश से हमारी राय की पुष्टि होती है।

संयुक्त किसान मोर्चा तीनों किसान विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन पर स्टे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि यह आदेश हमारी इस मान्यता को पुष्ट करता है कि यह तीनों कानून असंवैधानिक हैं। लेकिन यह स्थगन आदेश अस्थाई है जिसे कभी भी पलटा जा सकता है। हमारा आंदोलन इन तीन कानूनों के स्थगन नहीं इन्हें रद्द करने के लिए चलाया जा रहा है। इसलिए केवल इस स्टे के आधार पर हम अपने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं कर सकते।

संयुक्त किसान मोर्चा अपने कल के बयान में किसी भी कमेटी के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है।

“हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन हमने इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना नहीं की है और ऐसी किसी कमेटी से हमारा कोई संबंध नहीं है। चाहे यह कमेटी कोर्ट को तकनीकी राय देने के लिए बनी है या फिर किसानों और सरकार में मध्यस्थता के लिए, किसानों का इस कमेटी से कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट ने जो चार सदस्य कमेटी घोषित की है उसके सभी सदस्य इन तीनों कानूनों के पैरोकार रहे हैं और पिछले कई महीनों से खुलकर इन कानूनों के पक्ष में माहौल बनाने की असफल कोशिश करते रहे हैं। यह अफसोस की बात है कि देश के सुप्रीम कोर्ट में अपनी मदद के लिए बनाई इस कमेटी में एक भी निष्पक्ष व्यक्ति को नहीं रखा है।”

“इसलिए हम एक बात फिर स्पष्ट करते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। हमारे सभी पूर्व घोषित कार्यक्रम यानी 13 जनवरी लोहड़ी पर तीनों कानूनों को जलाने का कार्यक्रम, 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेगा। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से ‘किसान गणतंत्र परेड’ आयोजित कर गणतंत्र का गौरव बढ़ाएंगे। इसके साथ साथ अदानी अंबानी के उत्पादों का बहिष्कार करने और भाजपा के समर्थक दलों पर दबाव डालने के हमारे कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेंगे। तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए किसानों का शांति पूर्वक एवं लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रहेगा।”

बिहार में 20 से ज्यादा जगहों पर किसानों के पक्के धरने लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ में 80 से ज्यादा जगहों पर किसानों ने बैठकें कर दिल्ली आने की तैयारी की है। कर्नाटक के गुलबर्गा में लोगों ने बाइक रैली निकालकर तीन कृषि कानूनों का विरोध जताया है। केरल से सैंकड़ो की संख्या में किसान दिल्ली कुच कर रहे हैं। महाराष्ट्र में पोल खोल यात्रा के तहत केंद्र सरकार के किसान विरोधी चेहरे की पोल खोली जा रही है। विजयवाड़ा और हैदराबाद में भी बड़े प्रदर्शन किए गए। राजस्थान और हरियाणा में जागरूकता पखवाड़ा के तहत किसानों को आंदोलन में जोड़ा जा रहा है और अनेक जिलों में ट्रैक्टर मार्च समेत अनेक तरह के प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

दिल्ली की सभी सीमाओं पर, जिन पर किसानों के धरने लगे हुए हैं, किसान लोहड़ी पर्व को मनाने की तैयारियां कर रहे हैं। इस बार लोहड़ी का त्यौहार तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर मनाया जाएगा। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। टीकरी मंच पर दिल्ली के कलाकारों द्वारा नाटक भी प्रस्तुत किये गए। दिनों-दिन पुस्तकालय में आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। सिंघु बॉर्डर पर वकीलों और कलाकारों ने पहुंच कर किसानों का समर्थन दिया और उनको कुछ जरूरती सामान भी मुहैया करवाया।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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