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भारत का दम घुट रहा : वायु प्रदूषण की समस्या को सिर्फ स्वीकारें नहीं बल्कि इसे दूर करें

अगर हम प्रदूषण की वैश्विक तस्वीर पेश करें तो वायु प्रदूषण के संबंध में चीन पूरी दुनिया में एक पोस्टर ब्यॉय है। यह अलग बात है कि चीन हमारा ऐसा पड़ोसी देश है जिसने आर्थिक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है लेकिन सिर्फ यही काफी नहीं है इसके अतिरिक्त कुछ बड़ी समस्याएं भी हैं।
भारत का दम घुट रहा : वायु प्रदूषण की समस्या को सिर्फ स्वीकारें नहीं बल्कि इसे दूर करें

अगर हम प्रदूषण की वैश्विक तस्वीर पेश करें तो वायु प्रदूषण के संबंध में चीन पूरी दुनिया में एक पोस्टर ब्यॉय है। यह अलग बात है कि चीन हमारा ऐसा पड़ोसी देश है जिसने आर्थिक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है लेकिन सिर्फ यही काफी नहीं है इसके अतिरिक्त कुछ बड़ी समस्याएं भी हैं। नासा सैटेलाइट द्वारा उपलब्ध डेटा के अनुसार 2010 और 2015 के बीच भारत में वायु प्रदूषण 13 फीसदी बढ़ा जब कि चीन में 17 फीसदी।

वायु प्रदूषण से आमजन का स्वास्थ्य संकट में है। यूएस की स्वास्थ्य संस्था एचईआई के अनुसार भारत में 1.1 मिलियन लोग सिर्फ विषैले वायु प्रदूषण से मरते हैं। इसी संगठन के 2013 रिपोर्ट के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण के अतिरिक्त लोग ज्यादा एल्कोहल पीने, उच्च रक्तचाप और ब्लड सुगर से मरते हैं। अधिकांश भारतीय तो वायु प्रदूषण को ज्यादा महत्व ही नहीं देते हैं, कुछ लोग धुंध फैलने पर इसे खराब मौसम का नाम देते हैं। अन्य लोग अपने गिरते स्वास्थ्य के लिए वायु प्रदूषण को दोषी न देकर इसे सीजनल प्रॉब्लम बताते हैं अक्सर यह जाड़े में देखने को मिलता है। कुछ फीसदी भारतीय, विषैले वायु प्रदूषण के लिए लकड़ी से आग जलाने और पटाखों से उठे धुएं को जिम्मेदार मानते हैं। बहुतायत में ज्यादा लोग वाहनों की बढ़ती संख्या को वायु प्रदूषण का बड़ा कारण मानते हैं। इन समस्याओं के बावजूद लगभग प्रत्येक लोग वायु प्रदूषण को अपने जीवन के लिए खतरा मानते हैं। इन सबके बीच हम कह सकते हैं कि विषैली वायु में हम जो सांस लेते हैं यह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

निष्कर्षतः वायु प्रदूषण ना केवल खराब मौसम के लिए दोषी है बल्कि जानलेवा भी है। इस समस्या से गरीब-अमीर अथवा हर जाति, सम्प्रदाय के लोग ग्रसित हैं।

वायु प्रदूषण हमारे लिए एक छोटी समस्या नहीं है बल्कि जहरीली गैसों का एक ऐसा सम्मिश्रण है जिससे हमारा जीवन प्रभावित होता है। भारतीय राजधानी में चार में से एक बच्चा फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित है। वायु प्रदूषण के अन्य अवयवों में सल्फर डाईऑक्साइड, ओजोन, और नाइट्रोजन आक्साइड हवा में मौजूद रहकर हमारे फेफेड़ों की क्षमता को प्रभावित करते हैं साथ ही हृदय रोग और कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का कारण बनते हैं।

 

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