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एड्स – जानिए कब, कहां और कैसे अस्तित्व में आई यह बीमारी

जयपुर, एड्स एक ऐसी बीमारी है जो पूरी दुनिया के सामने चुनौती बना हुआ है। अगर यूनेस्को के आंकड़ों की बात करे तो बीते कुछ सालों में एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। जो चिंता का विषय़ है। बता दे कि हमारा देश इस सूची मे तीसरे नंबर पर है। दोस्तों विश्व
एड्स – जानिए कब, कहां और कैसे अस्तित्व में आई यह बीमारी

जयपुर, एड्स एक ऐसी बीमारी है जो पूरी दुनिया के सामने चुनौती बना हुआ है। अगर यूनेस्को के आंकड़ों की बात करे तो बीते कुछ सालों में एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। जो चिंता का विषय़ है। बता दे कि हमारा देश इस सूची मे तीसरे नंबर पर है। दोस्तों विश्व में तीन करोड़ से अधिक लोग हर साल एड्स की वजह से मौत को गले लगाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि यह बीमारी कैसे अस्तित्व में आई।Image result for एड्स

सबसे पहले इस बिमारी को 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में देखा गया था। उसके बाद यह चिम्पांजी से  इंसान में आई है। 1959 में एक व्यक्ति के बीमार होनें पर जब उसका बल्ड सैंपल लिया गया तो यह एचआईवी वायरस सामने आया। यह व्यक्ति कांगो का रहने वाला था। इस बीमारी की पहचान 1981 में हुई थी। लॉस एंजिलिस के एक डॉक्टर माइकल गॉटलीब ने पांच रोगियों का पाचन तंत्र कमजोर होनें पर इस बीमारी की पहचान की थी।Image result for एड्स

यह पांचों लोग समलैंगिक थे। तो डॉक्टरों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों में होती है। इसी वजह से शुरूआत में इसका नाम ग्रिड यानी गे रिलेटिड इम्यून डेफिशिएंसी रखा गया, लेकिन जब यह वायरस दुसरे लोगों में भी पाया गया तो इसका नाम बदल कर एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम रखा गया। इसके बाद 1983 में फ्रांस के लुक मॉन्टेगनियर ने LAV नामक वायरस का पता किया।एड्स – जानिए कब, कहां और कैसे अस्तित्व में आई यह बीमारी

वहीं एक साल बाद अमेरिका के रॉबर्ट गैलो ने HTLV 3 वायरस की पहचान की,  लेकिन 1985 में पता चला कि ये दोनों एक ही वायरस हैं। तब जाकर 1986 में पहली बार इस वायरस को एचआईवी नाम दिया गया। इसके बाद इस बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसके चलते 1 दिसंबर को एड्स दिवस के रूप मे मनाया जाने लगा, पर सबसे दुख की बात तो यह है कि अभी तक भी इस बीमारी के इलाज को लेकर कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुआ है।

 

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