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आर्थिक सुस्ती के बीच रोजी-रोटी के लिए किसानों की दास्तां

भारत में अर्थव्यवस्था की धीमी चाल जेब को हल्का करने में लगी है। मंदी से कारोबार जगत संकटों से जूझ रहा है लेकिन, अब गावों में भी मंदी पांव पसार रही है। देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास कर खेती और पशुपालन पर निर्भर है। देश के पशुधन का 7 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता है। इसमें भेड़ों का 25 प्रतिशत अंश है।
आर्थिक सुस्ती के बीच रोजी-रोटी के लिए किसानों की दास्तां

भारत में अर्थव्यवस्था की धीमी चाल से लोगों की जेब को तक हल्की हो गई है। देश की मंदी से कारोबार जगत को संकटों से जूझना पड़ रहा है लेकिन, अब आर्थिक सुस्ती गावों में भी पांव पसारने लगी है। देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास कर खेती और पशुपालन पर निर्भर है। मौजूदा हालात में महंगाई की मार से किसान और पशुपालक भी नहीं बच पा रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा गांवों पर निर्भर है लेकिन अब ग्रामीणों की जेब भी खाली रहने लगी है।

आर्थिक सुस्ती के बीच रोजी-रोटी के लिए किसानों की दास्तां

ऊँटों और शुष्क इलाकों के पशुओं की विभिन्न नस्लों पर राजस्थान का एकाधिकार है। अल्प बारिश के चलते यहां पर फ़सलें उगाई जाती हैं। बाजरा, मक्का, गेहूँ और जौ मुख्य फसलें मानी जाती है। राजस्थान में बड़ी संख्या में दूध उत्पादन के लिए पशू पाले जाते हैं। सर्वाधिक ऊन का उत्पादन करने वाला राजस्थान है। मुख्यत कृषि और पशुपालन पर गांवों के लोग निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेती बाड़ी के अलावा पशुपालन को ही जीविका का प्रमुख साधन माना जाता है। राजस्थान एक कृषि व पशुपालन प्रधान राज्य है। प्रदेश से सब्जियों और अनाज का निर्यात किया जाता है।

आर्थिक सुस्ती के बीच रोजी-रोटी के लिए किसानों की दास्तां

जानवरों को सूखा चारा, रंजका बांट जैसी चीजें खिलाकर गाय भैंसों से दूध एकत्रित किया जाता है लेकिन महंगाई के कारण चारे के लिए भी किसानों के पास टोटा है। पशुपालकों और किसानों को पालतू जानवरों में कटौती कर रहे हैं। यदि ऐसे हालात रहे तो निश्चित तौर पर दूध के साथ महंगे अनाज को लेकर भी लोगों को संघर्ष करना पड़ेगा। बता दें कि पूरे देश में 190,516 और राजस्थान में 14822 सहकारी समितियां है। जहां से दूध की सप्लाई की जाती है। दूध योजना पूरी तरह से गांवों पर निर्भर है।

भारत में अर्थव्यवस्था की धीमी चाल जेब को हल्का करने में लगी है। मंदी से कारोबार जगत संकटों से जूझ रहा है लेकिन, अब गावों में भी मंदी पांव पसार रही है। देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास कर खेती और पशुपालन पर निर्भर है। देश के पशुधन का 7 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता है। इसमें भेड़ों का 25 प्रतिशत अंश है। आर्थिक सुस्ती के बीच रोजी-रोटी के लिए किसानों की दास्तां

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