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Nagaland के बाद, Arunachal पक्षियों, जंगली जानवरों की रक्षा के लिए कृतसंकल्प

नगालैंड के बाद एक और पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पक्षियों और जंगली जानवरों को सुरक्षा और अभयारण्य प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। यहां के आदिवासी पारंपरिक रूप से सदियों तक इन जानवरों का शिकार करते रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश के पर्यावरण और वन मंत्री मामा नटुंग ने कहा कि सरकार की अपील का जवाब
Nagaland के बाद, Arunachal पक्षियों, जंगली जानवरों की रक्षा के लिए कृतसंकल्प

नगालैंड के बाद एक और पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पक्षियों और जंगली जानवरों को सुरक्षा और अभयारण्य प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। यहां के आदिवासी पारंपरिक रूप से सदियों तक इन जानवरों का शिकार करते रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश के पर्यावरण और वन मंत्री मामा नटुंग ने कहा कि सरकार की अपील का जवाब देते हुए अब तक 680 एयरगन और कुछ राइफलों को लोगों ने स्वेच्छा से सरेंडर (आत्मसमर्पण) कर दिया है और उन्होंने स्वेच्छा से पक्षियों और जानवरों का शिकार नहीं करने की कसम खाई है।

नटुंग ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “हम उन लोगों को कुछ समर्थन देने के लिए उपयुक्त नीतियां बनाने पर विचार कर रहे हैं जो सरकार को एयरगन और राइफलें जमा करने के बाद प्रभावित होंगे।”

उन्होंने कहा, जो लोग एयरगन और राइफलें सरेंडर कर रहे हैं, सरकार उन्हें उत्साहजनक प्रमाणपत्र दे रही है।

अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 17 मार्च को यह अभियान शुरू किया था, ताकि लोगों को अपनी एयरगन और राइफल सरेंडर करने और पक्षियों और जानवरों के शिकार से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जा सके।

17 मार्च से पर्यावरण एवं वन मंत्री, मुख्यमंत्री पेमा खांडू, केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरण रिजिजू, पर्यावरण, वन और वन्यजीव विभाग के शीर्ष अधिकारी जिलों और दूर दराज के क्षेत्रों में कई आयोजन कर रहे हैं, ताकि लोगों को पक्षी, जानवरों और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित किया जा सके।

मंत्री ने कहा कि इन घटनाओं में स्थानीय लोग बड़ी संख्या में बाहर आए और आमतौर पर पक्षियों और छोटे जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अपनी एयर-गन समर्पित (सरेंडर) कर दी।

‘अभियान’ राज्य सरकार की एक पहल है, ताकि शिकार को रोकने और वन्यजीवों की हत्या के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके।

नटुंग ने कहा कि आदिवासी लोगों का जीवन लंबे समय से वन्यजीवों और वनों पर निर्भर रहा है और जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग पर पड़ने वाले प्रभाव को महसूस किए बिना आदिवासी लोग अंधाधुंध जंगलों में कटौती कर वन्यजीवों को मारते हैं।

उन्होंने कहा, “अब समय हमारे लिए वन्य जीवन की रक्षा और जंगल के पेड़ों की निर्बाध कटाई को रोकने का है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिग पर इसका बहुत असर पड़ा है।”

पूर्वी सियांग जिले के दक्षिणी अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान सफल होगा, अगर यह जन आंदोलन के रूप में उभरकर सामने आता है और सभी समुदाय आधारित संगठनों से सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया।

–आईएएनएस

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