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सर्वपितृ अमावस्या पर बीस वर्षों बाद बन रहा शनिश्चरी का संयोग

14 सितंबर को शतभिषा नक्षत्र में पितृ स्वर्ग से धरती पर आते हैं वही शतभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्राद्धपक्ष में श्राद्ध करने से सौ तरह के पापों से मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती हैं इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर 14 सितंबर को शततारका नक्षत्र यानी धृति योग, वणिज करण और कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में श्राद्ध पक्ष का आरंभी होगा।
सर्वपितृ अमावस्या पर बीस वर्षों बाद बन रहा शनिश्चरी का संयोग

हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या को बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता हैं, वही इस बार 14 सितंबर को शतभिषा नक्षत्र में पितृ स्वर्ग से धरती पर आते हैं वही श​तभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्राद्धपक्ष में श्राद्ध करने से सौ तरह के पापों से मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती हैं वही इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर 14 सितंबर को शततारका नक्षत्र यानी धृति योग, वणिज करण और कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में श्राद्ध पक्ष का आरंभी होगा। सर्वपितृ अमावस्या पर बीस वर्षों बाद बन रहा शनिश्चरी का संयोगवही श्राद्धपक्ष अपने कुल, अपनी परंपरा, पूर्वजों के श्रेष्ठ कार्यों का स्मरण करने और उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेने का हैं वही ज्योतिष के मुताबिक आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से पितृ श्राद्ध आरंभ होता हैं वही उदयातिथि होने के कारण ही पूर्णिमा का श्राद्ध 14 सितंबर को होने के साथ साथ ही पितृ पख श्राद्ध भी शुरू हो रहा हैं वही 28 सितंबर तक यह चलेगा।सर्वपितृ अमावस्या पर बीस वर्षों बाद बन रहा शनिश्चरी का संयोग

बता दें, कि 14 सितंबर को उदया तिथि साकल्यापादिता तिथि मानी जाएगी। वही बताया कि पितृ पक्ष पितरों को याद करने का वक्त माना जाता हैं वही पितर दो तरह के होते हैं एक दिव्य पितर और दूसरे पूर्वज पितर। दिव्य पितर ब्रह्मा के पुत्र मनु से उत्पन्न हुए ऋषि हैं वही पितरों में सबसे प्रमुख अर्यमा हैं, जिनके बो में गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैं कि पितरों में प्रधान अर्यमा वे स्वयं ही हैं।सर्वपितृ अमावस्या पर बीस वर्षों बाद बन रहा शनिश्चरी का संयोग

जानिए क्यों बना विशेष संयोग—
ज्योतिष के मुताबिक नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो शतभिषा नक्षत्र के तारों की संख्या 100 हैं वही इसकी आकृति वृत्त के समान माना जाती हैं, यह पंचक के नक्षत्र की श्रेणी में आता हैं वही यह शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन विद्यमान हैं इसलिए यह शुभफल प्रदा करेगा।

14 सितंबर को शतभिषा नक्षत्र में पितृ स्वर्ग से धरती पर आते हैं वही श​तभिषा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्राद्धपक्ष में श्राद्ध करने से सौ तरह के पापों से मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती हैं इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर 14 सितंबर को शततारका नक्षत्र यानी धृति योग, वणिज करण और कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में श्राद्ध पक्ष का आरंभी होगा। सर्वपितृ अमावस्या पर बीस वर्षों बाद बन रहा शनिश्चरी का संयोग

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