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सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

अपनी फिल्म और फिल्म मिलने तक के अपने सफर के बारे में सहर बांबा ने एक बातचीत में बताया। मुंबई आना एक बहुत बड़ा रिस्क था। मुझे एक कमरा मिला, जिसे मुझे 8 लड़कियों संग शेयर करना था। इसके अलावा ट्रैवलिंग भी बहुत बड़ा इश्यू था। मैं लोकल ट्रेन में ट्रैवल करने की आदी नहीं थी।
सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

अभिनेत्री सहर बांबा सनी देओल के बेटे करण देओल की फिल्म पल पल दिल के पास से अपने करियर की शुरूआत करने वाली है। वहीं करण की भी ये डेब्यू​ फिल्म हैं। ये इसी 20 सितंबर को रिलीज होने वाली है ऐसे में इस वक्त फिल्म की पूरी टीम इसका प्रमोशन करने में जुटी हुई हैं। हाल ही में अपनी फिल्म और फिल्म मिलने तक के अपने सफर के बारे में सहर बांबा ने एक बातचीत में बताया। सहर बाम्बा ने एक इंटरव्यू में अपने स्ट्रगल के दिनों के बारे में बातचीत की है।सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में सहर ने कहा कि, ‘मुंबई आना एक बहुत बड़ा रिस्क था। क्योंकि यहां मेरा ना कोई फ्रेंड था और ना ही कोई रिलेटिव। मेरे पास कोई फिल्मी कनेक्शन भी नहीं था। मैं हमेशा से एक एक्ट्रेस बनना चाहती थी, सौभाग्य से मेरे पैरेंट्स बहुत ही सपोर्टिव थे। मेरे स्ट्रगल की बात करूं तो ये मुंबई आने से ही शुरू हो गया था।’सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

‘मुझे एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेना था। साथ ही खान-पान और रहने की व्यवस्था भी करनी थी। जो कि सबसे बड़ी परेशानी थी, फाइनली मुझे एक कमरा मिला, जिसे मुझे 8 लड़कियों संग शेयर करना था। इसके अलावा ट्रैवलिंग भी बहुत बड़ा इश्यू था। मैं लोकल ट्रेन में ट्रैवल करने की आदी नहीं थी। हालांकि, धीरे-धीरे इसकी आदत हो गई थी, कॉलेज के बाद ऑडिशन के लिए मैं डेली चर्चगेट से आरम नगर तक ट्रैवल करने लगी।’सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

सहर ने कहा कि, ‘यहां सबसे बड़ी मुश्किल थी कि किससे मिलू, कहां मिलू। इस दौरान मैं अच्छे-बुरे हर तरह के इंसान से मिलीं, जिन्होंने मुझे झूठी उम्मीदें दिलाई और झूठे वादे किए। हालांकि, भाग्य से मैं कभी कास्टिंग काउच का शिकार नहीं हुई आठ महीनों बाद मेरा स्ट्रगल खत्म हुआ और मुझे पल पल दिल के पास मिल गई।’सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

अपनी फिल्म और फिल्म मिलने तक के अपने सफर के बारे में सहर बांबा ने एक बातचीत में बताया। मुंबई आना एक बहुत बड़ा रिस्क था। मुझे एक कमरा मिला, जिसे मुझे 8 लड़कियों संग शेयर करना था। इसके अलावा ट्रैवलिंग भी बहुत बड़ा इश्यू था। मैं लोकल ट्रेन में ट्रैवल करने की आदी नहीं थी। सहर बांबा ने सुनाई अपनी संघर्ष की कहानी

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