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ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक भी माना गया हैं वही पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता हैं। शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता हैं पांच तत्वों में आकाश तत्व का अधिपति होने की वजह से इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट माना जाता हैं। कैंसर और लीवन से संबंधित गंभीर समस्याएं बृहस्पति ही देता हैं। बृस्पति के मंत्रो का जाप करें
ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

आपको बता दें, कि ज्योतिष शास्त्र व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, वही नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक भी माना गया हैं वही पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता हैं।

ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

वही मनुष्य के शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता हैं वही पांच तत्वों में आकाश तत्व का अधिपति होने की वजह से इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट माना जाता हैं। वही स्त्रि के जीवन में शादी विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति ग्रह से ही तय होती हैं।ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

आपको बता दें, कि बृस्पति के कमजोर होने पर मनुष्य के संस्कार कमजोर पड़ने लग जाते हैं। वही विद्या और धन प्राप्ति के मार्ग में भी बाधा के साथ साथ मनुष्य को बड़ों का सहयोग पाने में भी काफी कठिनाई हो जाती हैं। वही व्यक्ति के पाचन तंत्र कमजोर हो जाते हैं, कैंसर और लीवन से संबंधित गंभीर समस्याएं बृहस्पति ही देता हैं।ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाववही संतान पक्ष की समस्याएं भी परेशान करती हैं कभी कभी तो संतान ही नहीं होती हैं। वही अगर बृहस्पति का संबंध शादी विवाह भाव से बन जाए तो विवाह होना असंभव हो जाता हैं। वही शनि की अशुभ स्थिति से मनुष्य की समस्याओं का निवारण हो सकता हैं मगर बृहस्पति के बुरे प्रभाव का निवारण बहुत ही कठिन माना जाता है।ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

वही बृहस्पतिवार को सुबह उठकर स्नान करके पीले वस्त्रों को धारण करें और बृहस्पति देव के चित्र या फिर केले के पौधे के पास बैठें। धूप बत्ती और दीपक अवश्य ही जलाएं चने की दाल और गुड का भोग लगाएं। इसके बाद बृस्पति के मंत्रो का जाप भी करें वही मंत्रों का जाप हल्दी या फिर रुद्राक्ष की माला से करे तो ज्यादा ही बेहतर होगा।

ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक भी माना गया हैं वही पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता हैं। शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता हैं पांच तत्वों में आकाश तत्व का अधिपति होने की वजह से इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट माना जाता हैं। कैंसर और लीवन से संबंधित गंभीर समस्याएं बृहस्पति ही देता हैं। बृस्पति के मंत्रो का जाप करें ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और इसके शुभ अशुभ प्रभाव

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